जैसे तुम वैसी तुम्हारी प्रेम कहानी || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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जैसे तुम वैसी तुम्हारी प्रेम कहानी || नीम लड्डू

जिस स्तर के तुम आदमी हो, जिस औकात की तुम्हारी ज़िंदगी है, तुम्हारी प्रेम कथा भी उसी स्तर, उसी औकात की होगी। तो ये हिमाक़त तो करना ही मत कि ज़िंदगी है दो फुट की औकात की और दुनिया को बताते घूम रहे हो कि, “मेरी आशिक़ी का आसमानी अफ़साना था।“ वो हो नहीं सकता, जैसे तुम वैसी तुम्हारी प्रेम कथा।

समझ में आ रही है बात?

केंचुए को हथिनी से इश्क़ नहीं हो सकता। समझ में आ रही है बात कुछ? केंचुए को चील से भी इश्क़ नहीं हो सकता; वो उड़ती है आसमानों में, और इसके पास तो रीढ़ ही नहीं। यह तो तब भी विरोध नहीं करता जब पाँव तले कुचला जाता है।

पर हर केंचुए का दावा यही है कि, “मैं भी साहब नाकाम आशिक़ हूँ। वो जो सबसे खूबसूरत चील है आसमानों की, वो कभी मेरी महबूबा हुआ करती थी।“

अरे! तू अपनी हालत देख। तू पहले सीधा खड़ा होना सीख। रीढ़ पैदा कर। उसके बाद चीलों की और बाजों की और आसमानों की बातें करना।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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