जब शरीर का कोई हिस्सा बड़ी माँग करने लगे किसी भी तरीके से, पेट माँग करता है कि, ‘मुझे भोजन दो’, कहीं दर्द हो गया तो वो जगह माँग करती है कि, ‘मुझे आराम दो, दवा दो।‘
कामोत्तेजना चढ़ने लगी तो जननांग माँग करते हैं कि, ‘हमपर ध्यान दो’, तो उसको देखा करिए और कहा करिए, “कैसा लगेगा तू जब धू-धू करके जलेगा? क्योंकि वही हैसियत है तेरी। बहुत उछल रहा है न!” तो देखिए उसे, वो राख होने जा रहा है, वो राख हो ही रहा है। बात समय की है।
अपने-आप को आइने में जब निहारें कि, ‘कितना खूबसूरत लग रहा हूँ’, तो अपनी लाश भी देखा करें उसी आइने में। ज़िंदगी फिर सच्ची बीतेगी, झूठ से बचे रहेंगे।