इसे तुम खुशखबरी कहते हो? || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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इसे तुम खुशखबरी कहते हो? || नीम लड्डू

पृथ्वी पर नहीं है इतने संसाधन कि तुम बच्चे पैदा करे ही जा रहे हो, करे ही जा रहे हो। और मैं जो बोलूँगा वो बात बहुत चुभेगी, बता देता हूँ!

इस समय पृथ्वी पर बच्चा पैदा होने से ज़्यादा अशुभ काम दूसरा नहीं है। मातम का काम है अगर पृथ्वी पर एक भी और बच्चा पैदा हो रहा है। लेकिन न-जाने हम कैसे जाहिल लोग हैं, विकास विकास की बात करते रहते हैं। विकास का मतलब समझते हो? चीन का हो तो गया विकास। भारत को चीन बनना है। दुनिया का तीस-प्रतिशत कार्बन एमिशन आज चीन करता है। अभी और बढ़ाता ही जा रहा है, बढ़ाता ही जा रहा है। कार्बन कम करने की जितनी भी संधियाँ हैं उनसे पीछे हटता जा रहा है। उसमें उसको दस्तख़त करने में कोई रुचि भी नहीं है। भारत बहुत पीछे नहीं है। उसमे आठ-प्रतिशत योगदान अब भारत का हो गया है। हमें दो-अरब सुलझे हुए लोग चाहिए क्योंकि दो-अरब भी हो गए तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति, हर आदमी हर औरत, उतना ही कंज़प्शन (उपभोग) कर रहा है जितना आज कोई अमेरिका में, या ब्रिटेन में, कैनेडा में करता है। तो दो-अरब भी बहुत हैं पृथ्वी को खा जाने के लिए। वो बर्बाद कर देंगे।

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