होश है जीवन का सम्मान || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

Acharya Prashant

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होश है जीवन का सम्मान || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

वक्ता: सेल्फ-रेस्पेक्ट का जो अर्थ हम जानते हैं वह तो पूरा-पूरा ईगो ही है । कोई अंतर नहीं । सेल्फ-रेस्पेक्ट का दूसरा अर्थ भी होता है, जो उसका वास्तविक अर्थ है।

सेल्फ-रेस्पेक्ट का वास्तविक अर्थ होता है सेल्फ-अवेयरनेस क्योंकि रेस्पेक्ट का वास्तविक अर्थ होता है जानना।

स्पेक्ट का अर्थ होता है देखना, जैसे तुमने चश्मा पहन रखा है ना ? इसको स्पेक्टिकल्स बोलते हो ना, देखते हो इस से । इसी तरीके से री-स्पेक्ट का वास्तविक अर्थ होता है बार-बार देखना । जानना!

रेस्पेक्ट माने अवेयरनेस और सेल्फ-रेस्पेक्ट माने? सेल्फ-अवेयरनेस।

अगर सेल्फ-रेस्पेक्ट का मतलब वो है जो तुम समझते आए हो आज तक तो वह तो ईगो ही है । लेकिन दूसरा अर्थ भी है जो है सेल्फ-अवेयरनेस । सेल्फ-अवेयरनेस और ईगो विपरीत हैं ।

सेल्फ-रेस्पेक्ट के दो अर्थ हैं । एक तो यह कि स्वाभिमान । यह नकली अर्थ है। इसे काट दो । और यह जो स्वाभिमान है यह अहंकार ही है । सेल्फ-रेस्पेक्ट का दूसरा अर्थ है आत्मज्ञान । यह ईगो का विपरीत है । अब यह तुम्हे निर्णय करना है कि तुम्हे सेल्फ-रेस्पेक्ट का कौन सा अर्थ चाहिए।

छात्र: दूसरा, आत्मज्ञान!

वक्ता: सेल्फ-रेस्पेक्ट को कभी स्वाभिमान मत समझ लेना । सेल्फ-रेस्पेक्ट का मतलब है आत्मज्ञान । अपने आप को जानना।

अपने अहंकार को बढ़ाना आत्मज्ञान नहीं है । अपने आप को जानना है सेल्फ-रेस्पेक्ट ।

स्वाभिमान नहीं, आत्मज्ञान !

अगर स्वाभिमान समझ लिया सेल्फ-रेस्पेक्ट का अर्थ, तो उसमें और ईगो में फर्क नहीं। तुमने कहा मैं दोस्तों के साथ रहता हूँ और तुम कहते हो कि मुझे तुम्हारे साथ यह नहीं करना वह नहीं करना, और लोग कहते हैं यह ईगो है ।

कोई भी एक्शन दो ही जगहों से निकल सकता है । तुम जितने भी एक्शन करते हो सुबह से शाम तक, पूरी ज़िन्दगी तुमने जो भी करा है उसके सोर्स दो ही होते हैं । एक सोर्स होता है इग्नोरेंस और दूसरा अवेयरनेस ।

इग्नोरेंस नकली सोर्स है । इग्नोरेंस से जो भी एक्शन निकलेगा वह तुम्हे भी दुःख देगा और दूसरों को भी । इग्नोरेंस से जो भी एक्शन निकलेगा वह आदत का होगा । तुम्हारी प्रोग्रामिंग कर दी गयी है मशीन की तरह, काम करे जा रहे हो करे जा रहे हो। वह एक प्रभावित एक्शन होगा । प्रभावित बाहर वाला ही करता है। बाहर वाला जिसने तुम्हे एक मशीन बना दिया है, तुम्हारी कंडीशनिंग कर दी है । और होश से जो एक्शन निकलता है वह अपना होता है।

जो इग्नोरेंस से किया जाए वह हमेशा गलत है, जो होश से किया जाए वह हमेशा सही है।

अब तुम्हे उसमें समस्या यह आएगी कि अक्सर जो काम तुम होश में करोगे तुम्हारे दोस्त यार, परिवार, समाज कहेंगे यह गलत है। यह अक्सर होगा तुम्हारे साथ । कि जो काम तुम अपने होश में कर रहे हो वह दूसरे तुमसे कह रहे हैं कि गलत है । तुम दूसरों की सुन मत लेना। इतना काफी है कि तुमने अपनी समझ से कुछ किया । फिर दोस्त कहते रहे तो कहने दो । समाज, व्यवस्था कानून, कोई कुछ भी कहता रहे तुम मान मत लेना ।

अवेयरनेस से जो भी करोगे ठीक ही होगा। डरना मत, पीछे मत हटना! बस यह ध्यान रखना कि तुम्हारी अवेयरनेस से निकला है काम। एक्शन तुम्हारी अवेयरनेस से निकला है इतना ध्यान रख लेना।

– ‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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