हौसला ऐसा जो टूटे नहीं || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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हौसला ऐसा जो टूटे नहीं || नीम लड्डू

संघर्ष में हम सभी हैं; ज़िंदगी युद्ध तो है ही। दूसरे को क्या दिखाना चाहते हो? अपनी चोट, अपनी हार या अपना हौसला? अपना हौसला दिखाओ न दूसरे को!

बचना ऐसे लोगों से जो बार-बार तुम्हें अपनी चोट और अपने घाव दिखाते हों। उसके पास जाना जिसके पास चोट भी है, घाव भी है फिर भी उसका हौसला नहीं टूट रहा। दूसरे को सुनाना ही है तो अपने तेज की बात सुनाओ न, अपने प्रताप की बात सुनाओ न! बताओ कि किन संघर्षों में तुम हौसले के साथ खड़े हुए हो। यह मत बताओ कि उन संघर्षों में तुम्हें घाव कितने लगे हैं और खून कितना बहा है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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