हर वक्त मन भटकता रहता है || आचार्य प्रशांत (2020)

Acharya Prashant

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हर वक्त मन भटकता रहता है || आचार्य प्रशांत (2020)

प्रश्नकर्ता: इंटरनेट से एक बहुत लम्बे समय तक मेरा कोई विशेष लगाव नहीं था। यूट्यूब भी मैंने तभी देखना शुरू किया जब आपको सुनने की आदत लगी है आपके कारण ही मैंने इंटरनेट पर ज़्यादा समय बिताना शुरू किया, पर अब ये हो गया है कि इंटरनेट पर मैं आता तो हूँ आपके वीडियो सुनने के लिए पर आलतू-फालतू अश्लील वीडियो मुझे खींच लेते हैं। एक-दो बार तो आपको छोड़कर मैं उधर ही चला गया, मदद करें।

आचार्य प्रशांत: रमन जिधर को गये हो, अब उधर तो चले ही गये न। और कोई आखिरी बार नहीं चले गये हो आइंदा भी जब आओगे यूट्यूब पर तो कुछ तो इंटरनेट का चरित्र ऐसा है और कुछ तुम्हारी उम्र ऐसी है कि तुमको ये अश्लील वीडियो, पॉर्न इत्यादि आकर्षित करेंगे ही।

तुम्हें कोई आकर्षण न हो रहा होता इन चीज़ों का, भली बात होती। मैं कहता कि काश ऐसा हो कि तुम्हारा बोध-वीडियोज़ में मन लगा हुआ है, वहीं लगा रहे। लेकिन तुम्हारे साथ अब प्रकृति ने माया ने एक खेल खेलना शुरू ही कर दिया है। तुम मेरी बात सुन रहे होते हो शायद किसी दूसरे ब्राउज़र में या किसी दूसरे टैब में कोई दूसरी चीज़ होती है जो शुरू हो जाती है या तुम लगा देते हो, चलने लगती है और फिर तुम उधर को आकर्षित हो जाते हो।

इस आकर्षण को शायद रोका नहीं जा सकता जिन्होंने इससे लड़ने की कोशिश करी है मुँह की खायी है। तो तुम एक काम करो जब तुमको ऐसी चीज़ें खींचें तो उनकी ओर चले ही जाओ पर मुझे साथ लेकर जाओ उनकी तरफ़। क्योंकि तुम तुम्हारे ही कथन-अनुसार आये तो मेरे लिए थे न इंटरनेट पर, यूटयूब तुमने मेरे लिए खोला था फिर कहीं और को जा रहे हो। तो जहाँ को भी जा रहे हो जाओ मुझे साथ लेकर के। मुझे साथ लेकर के माने क्या? मेरी बात को साथ लेकर के। मैं अगर तुम्हें होश तक लाता हूँ तो होश को साथ ले करके।

उसी होश के साथ उन सब वीडियोज़ को और वेबसाइट्स को देखो जो तुमको शारीरिक तौर पर बड़ा आकर्षित करते हैं। अच्छे से ही देख लो, पूरी तरह से देख लो। साफ़ पूछो अपनेआप से, ‘ये क्या दिखाया जा रहा है मुझे? ये लोग कौन हैं?’ ये तो बात छोड़ो कि वो वीडियो जो तुम देखने गये अश्लील पॉर्न का मान लो वो बीस मिनट का है, ये तो छोड़ो कि बीस मिनट का वीडियो था और तुम शर्म के मारे बस तीन मिनट देखकर के आ गये। मैं कह रहा हूँ, अगर वो वीडियो बीस मिनट का है तो तुम उसमें चार घंटे का वीडियो देख लो। यही होश की निशानी है। तुम वो भी देख लो जो तुम्हें दिखाया नहीं जा रहा, तुम वो भी देख लो जो तुमसे छुपाया जा रहा है।

बीस ही मिनट का वीडियो दिखाया गया है न तुमको, उसके पीछे की फ़ुटेज (चित्र) कई घंटों की है। और जो तुमसे छुपा दिया गया है वो कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है बनिस्बत उसके जो तुम्हें प्रदर्शित किया गया है, दिखाया गया है। वो जो उसमें तुम्हें आदमी-औरत दिख रहे हैं वो इंसान हैं। तुम्हें दिखाया नहीं जा रहा पर तुम देखो कि कैसे वो सारी कहानी पूरा हो जाने के बाद उन दोनों को भुगतान किया जा रहा है, पैसे दिये जा रहे हैं। तुम देखो कि कैमरे के सामने तो उन्होंने बड़ी तुम्हें जिस्मानी गर्मी दिखा दी और उसके थोड़ी देर बाद दोनों अपने-अपने रास्ते चल दिये, अपने-अपने पैसे लेकर के।

और तुम चार ही घंटे क्यों देख रहे हो? तुम चार साल देख लो न, तुम चौदह साल क्यों नहीं देख लेते? पुरुष हो तुम तो जिन अश्लील वीडियोस की तुम बात यहाँ कर रहे हो उसमें शायद स्त्रियों को ही देखने जाते होगे। कोई लड़की है तुम्हारे सामने उस वीडियो में, वो बीस साल की है मान लो। तुम पन्द्रह साल लम्बा वीडियो देख लो न। तुम पन्द्रह साल पीछे चले जाओ। वो जो लड़की है जिसको देख करके अभी तुममें इतनी कामोत्तेजना बहक रही है, वो लड़की अभी वीडियो की शुरुआत में तीन साल की थी, पाँच साल की थी। लम्बा वीडियो देख रहे हो अब तुम, पन्द्रह साल लम्बा। तीन साल की थी, पाँच साल की थी।

तुम्हारे घर में भी कोई बच्ची होगी तीन साल की पाँच साल की तुम्हें शायद मामा बोलती होगी या चाचा बोलती होगी। तुम्हारे पड़ोस में कोई होगी लड़की छोटी तुम्हें भईया या अंकल बोलती होगी। बोलती होगी कि वो वहाँ झाड़ी में गेंद चली गयी है, ला दीजिए। और तुम हँसते हुए ले आकर गेंद उसके हाथ में रख देते होगे, प्यार से उसके सिर पर ऐसे बालों में हाथ फेर देते होगे।

ये जो सामने पॉर्न में लड़की है जो अभी तुम्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ एक जवान औरत सी दिखाई दे रही है ये भी तो छोटी बच्ची ही थी अभी बस कल ही। समय क्या है एक पल का हो या पन्द्रह साल का हो ये तो नापने की इकाई की बात है, कैसे नाप रहे हो।

अपने बचपन की तस्वीर देखी है न तुमने? और तुम्हारे नात-रिश्तेदार भी होंगे तुम्हारे भाई-बहन भी होंगे। उनके भी बचपन की तस्वीर देखते होगे। देखो कैसे होते हैं हम बचपन में तीन साल के, पाँच साल के और फिर हम कैसे हो जाते हैं बीस साल के, पच्चीस साल के। वैसे ही उस फ्रेम में तुम्हें जो खेल दिखाई दे रहा है सेक्स का, उसमें जो खिलाड़ी हैं वो अभी थे छोटे से। लम्बा वीडियो देख रहे हो न पूरा।

ये तो साजिश है जो दो मिनट पाँच मिनट या बीस मिनट के वीडियो दिखा दिये जाते हैं इनमें दिखाया थोड़े ही कुछ जाता है, इनमें तो छुपाया जाता है, तुम पूरा देखो। तो वो तीन साल की थी और तीन साल की तो किसी लड़की ने ये सोचा नहीं होता है कि वो एक दिन रोटी ही खाएगी अपने जिस्म को बेचकर के। मुझे मालूम है बहुत देश हैं जहाँ पर पॉर्नोग्राफी को एडल्ट इंटरटेनमेंट (वयस्क मनोरंजन) कहकर के विधिवत इंडस्ट्री (उद्योग) का दर्ज़ा दिया हुआ है और वो लोग इसको किसी भी तरह का एक्सप्लॉइटेशन (शोषण) भी मानते नहीं। वो कहते हैं कि सबका हक है, सबका अपना-अपना चुनाव है जो जिस तरीके से आजीविका चलाना चाहता है चलाए। कोई अगर यही करके पैसे कमाना चाहता है, पेट पालना चाहता है तो उसे पूरी आज़ादी है। कई देशों में ऐसा चलता है।

चलता होगा लेकिन फिर भी तुम सोचो तीन साल की किसी लड़की ने ये नहीं सोचा होता है कि वो ऐसे अपनी ज़िन्दगी चलाएगी। कैसे हो गया ये? क्या आया होगा उसकी ज़िन्दगी में, कैसे मोड़, कैसी घटनाएँ? अभी तो स्क्रीन पर वो तुम्हारे सामने बस रति रानी बनी बैठी है, अभी तो वो पैसे ले रही है बस तुमको लुभाने के। पर शूटिंग खत्म हो जाएगी न अभी। शूटिंग खत्म होने के बाद वो कोशिश नहीं कर रही है तुमको लुभाने की। अब वो लड़की है और उसका अपना निजी संसार है। उस संसार को भी देखो वीडियो को लम्बा चलने दो स्टॉप (बंद करना) बटन दबने ही न पाये।

और तुम देखोगे कि कितने तरीके किये जाते होंगे सिर्फ उस वीडियो को ऐसा तैयार करने में कि तुम पर वासना का पूरा खुमार चढ़ जाए, कि तुम एकदम गर्म हो जाओ। और जो लोग ये कर रहे हैं, तुम्हें गर्म करने का आयोजन, वो भलीभाँति जानते हैं कि तुम्हारे बटन कहाँ हैं। कहाँ किस बटन को दबाया जाए तो शरीर में ऊष्मा का संचार होने लगता है।

उन्हें भलीभाँति पता है तुम्हारा टेम्प्रेचर (तापमान) कैसे बढ़ा देना है, देखो न इस बात को कि वो हँस रहे हैं, उन्होंने वीडियो में कोई शॉट डाला है या कोई इफ़ेक्ट (प्रभाव) डाला है या कहीं एडिटिंग करी है और ये करके वो हँस रहे हैं तुम्हारे ऊपर। वो कह रहे हैं, ‘देखो, हमने अब ऐसा कर दिया है कि जो इसको देखेगा उसी के बटन दब जाएँगे, वही गर्म हो जाएगा।’ और तुम गर्म हो गये, तुमने उनकी बात को सही ठहरा दिया। तुमने दिखा दिया कि अगर वो तुम्हें मज़ाक के तौर पर ले रहे थे तो तुम मज़ाक के तौर पर ही लिए जाने के काबिल हो। बात आ रही है समझ में?

बहुत कुछ है जो देखा जा सकता है वो सबकुछ तो ज़रूरी भी नहीं है कि मैं अभी तुमसे इस मंच से कहूँ। अगर इतने समझदार हो तुम कि इस मुद्दे को लेकर मुझे सवाल भेज सकते हो तो इतनी भी समझदारी तुममें ज़रूर है कि तुम खुद ही देख लो कि अगर उस पन्द्रह-बीस मिनट के वीडियो को तुम लम्बा करते जाओगे दोनों तरफ़ से अतीत की तरफ़ से भी और भविष्य की तरफ़ से भी, तो तुम्हें क्या-क्या नहीं दिखाई पड़ जाएगा। और उस पूरे वीडियो में तुम्हें जो दिखाई देगा वो कामोत्तेजक नहीं होगा। कामोत्तेजक तो बस वो पन्द्रह-बीस मिनट हैं।

तो अगर तुम्हें मुक्ति पानी है, तो पूरी चीज़ देखो। इसीलिए सत्य को मुक्ति कहा गया है और सत्य को ही पूर्णता भी कहा गया है। माने पूर्णता में मुक्ति है, माने अधूरेपन में ही बन्धन है।

जो भी चीज़ तुम्हें फँसा रही हो वो ज़रूर तुम्हें आधी दिख रही है तभी तुम्हें फँसा पा रही है। अधूरेपन में ही बन्धन है। जो भी चीज़ तुम्हें पूरी दिख गयी अब वो तुम्हें बन्धन में नहीं रख सकती। पूरेपन में, पूर्णता में तो मुक्ति है, आज़ादी है। जिस भी चीज़ को पूरा देख लोगे उससे आज़ाद हो जाओगे।

उस पॉर्न वीडियो को भी पूरा देख लो उससे आज़ाद हो जाओगे। पूरा देखने का मतलब समझ गये हो न, पूरा देखने मतलब ये नहीं कि दस-बारह वीडियो देख डाले। पूरा देखने का मतलब है वीडियो जहाँ शुरू हो रहा है उसके पीछे से देख लिया और वीडियो जहाँ खत्म हो रहा है उसके बहुत-बहुत आगे तक देख लिया। पूरा देखने का मतलब है — वही नहीं देख लिया जो कैमरे के आगे हो रहा है, उनको भी देख लिया जो कैमरे के पीछे खड़े हैं। पूरा देखने का मतलब है — उनको ही नहीं देख लिया जो उस वीडियो में अभिनय कर रहे हैं, उनको भी देख लिया जो उस वीडियो के अभिनेताओं से अभिनय करवा रहे हैं। सबको देख लिया, फिर मुक्त हो जाओगे।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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