जिसी स्त्री के नितंब बड़े हों, स्तन बड़े हों, चर्बी खूब हो कोमल-कोमल, तुम्हारी भाषा में, वो पुरुष को तत्काल पसंद आ जाती है। उसमें सुंदरता की कोई बात नहीं है; उसमें प्राकृतिक व्यवस्था है गर्भाधान की। वह प्राकृतिक व्यवस्था है कि पुरुष की आँखें ढूँढ़ती ही ऐसी स्त्री को हैं जो सहवास के लिए और गर्भधारण के लिए उपयुक्त हो। और स्त्री की आँखें तलाशती ही ऐसे पुरुष को हैं जिस पुरुष में बल हो और जिसका शुक्राणु भी बलवान हो। यह प्रेम नहीं है, यह पशुता है। इसको प्रेम मत बोल देना। यह पुरानी प्राकृतिक व्यवस्था है, यह जानवरों में भी पायी जाती है।
तो पुरुष स्त्री ढूँढ़ता है कोमल-कोमल, और स्त्री पुरुष ढूँढ़ती है कठोर-कठोर।