दुनिया के बाप रहो! ना सिर्फ़ तुम्हें चोट नहीं लगनी चाहिए बल्कि तुम में इतनी करुणा होनी चाहिए कि मारने वाले से भी पूछो, “हाथ तो नहीं टूट गया तेरा?”
पहली बात तो फ़ौलाद जैसा होना चाहिए तुमको कि कोई तुम्हें मार भी रहा है तो तुम्हें कुछ नहीं हो सकता। या तो फ़ौलाद जैसे हो जाओ या आकाश जैसे।
फ़ौलाद पर भी चोट पड़ती है तो फ़ौलाद नहीं टूटता और खाली आकाश में भी घूँसा मारो तो आकाश नहीं फट जाता। ख़ुद तो होना चाहिए बाप-सा, फ़ौलाद-सा। कि, “चोट तो हमें लगती नहीं, मार लो! हम तुम्हें रोक नहीं रहे मारने से और जब तुम मार लोगे तब हम तुमसे पूछेंगे – तुम्हें तो नहीं लग गयी?” ये थोड़े ही कि उन्होंने मारा और तुम रो पड़े।
तुम रो पड़ोगे तो उनके आँसू कौन पोछेगा?