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दर्द छुपा कर जीने वाले || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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दर्द छुपा कर जीने वाले  || नीम लड्डू

हम छुपे हुए दर्द में जीनेवाले लोग हैं, पूरी दुनिया के सब लोग हैं, छुपे हुए दर्द में ही जी रहे हैं। यह सब जो हँसते हुए, मुस्कुराते हुए लोग तुमको चारों ओर दिख रहे हैं, यह हँस-मुस्कुरा सिर्फ़ इसलिए रहे हैं क्योंकि इन्हें अपनी छाती का दर्द का कुछ पता नहीं है। तो ऊपर-ऊपर से दिखाई देता है कि हँस रहे हैं, गा रहे हैं, बड़े मज़े कर रहे हैं। जैसे किसी के हाथ-पाँव सब चिरे हुए हों, और उसको एनेस्थीसिया दे दिया गया हो। तो हाथ-पाँव का दर्द उसको पता नहीं चल रहा। हाथ-पाँव का दर्द नहीं पता चल रहा है तो वह चुटकुले पढ़ रहा है और हँस रहा है। अगर यह एनेस्थीसिया थोड़ा भी उतरेगा तो यह आदमी रो पड़ेगा।

ये पूरी दुनिया, ऐसा समझ लो, कि एनेस्थीसिया पर चल रही है ताकि दर्द पता ना चले। इसीलिए तो लोग इतने नशे करते हैं तरह-तरह के; ज्ञान का, संबंधों का, शराब का, दौलत का, यह सब एनेस्थीसिया है, ताकि तुम्हें तुम्हारे दर्द का पता ना चले। अपनी हालत से वाकिफ़ हो जाओ, उसके बाद बहुत मुश्किल होगा भटकना इधर-उधर।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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