दहेज नहीं तो शादी नहीं || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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दहेज नहीं तो शादी नहीं || नीम लड्डू

प्रश्नकर्ता: सर, लोग दहेज क्यों लेते हैं?

आचार्य प्रशांत: कोई किसी का साथ पैसे लेकर के करेगा तो मैं कैसे बोलूँ इस पर? मैं मुश्किल पाता हूँ इस बात को कल्पित करना, उस आदमी की शक्ल को चित्रित करना जो कह रहा है कि, “मैं किसी के साथ हो सकता हूँ उम्रभर के लिए भी अगर मुझे पैसे मिलेंगे और पैसे नहीं मिलेंगे तो नहीं होऊँगा।“ यह थोड़ा सा विचार से बाहर की बात है। और मेरे लिए मुश्किल है ऐसी महिला की भी कल्पना करना जो किसी ऐसे पुरुष के घर जाकर के बैठ जाती है, उसके बर्तन माँझ रही है, उसके बच्चे पैदा कर रही है, जिसने उससे संगति करी थी पैसे लेकर के।

इस पर मेरे लिए चुटकुला बनाना आसान है, उत्तर देना थोड़ा तकलीफ़ का काम है। कोई आपके पास आकर के बोले कि, “मैं तुम्हारा हो सकता हूँ लेकिन दस लाख देना पहले, मेरी फलानी नौकरी लग गई है तो मेरा रेट बढ़ गया है।“ ऐसे आदमी को विवाह मंडप में थोड़े ही ले जाओगे, उसको पागलखाने ले जाओगे।

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