बाज़ार वासना बेचता है || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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बाज़ार वासना बेचता है || नीम लड्डू

किसी का दिमाग भ्रष्ट करने का एक बहुत अच्छा तरीका होता है उसको सेक्सुअल एक्टिविटी (यौन गतिविधि) की लत लगवा देना। अब वह कुछ भी करेगा।

जैसे की एक घटिया प्रोडक्ट (उत्पाद) है, एक बहुत बेकार उत्पाद है मार्केट (बाज़ार) का, जो कि कोई भी आदमी अपनी सहज बुद्धि में कभी खरीदना ही नहीं चाहेगा। लेकिन अगर आप उस घटिया चीज़ का विज्ञापन एक अर्धनग्न महिला से करवा देंगे कम कपड़ों में, कामोत्तेजक लड़की आकर, नाच कर, गाकर के, अपने अंग-वगैरह स्क्रीन पर दिखा कर उस चीज़ का विज्ञापन कर रही है, तो वह चीज़ खूब बिक सकती है।

भारत में १९९१ के बाद जैसे-जैसे बाज़ार ने गर्मी पकड़ी है, वैसे-वैसे यह जो चीज़ आपने कही कि छोटे लड़कों तक में सेक्सुअल एक्टिविटी इतनी बढ़ गई है, यह दोनों चीज़ें बिलकुल साथ-साथ आपको दिखाई देंगी, ये पॉज़िटिवली कोरिलेटेड हैं। तो बाज़ार अपने मुनाफ़े के लिए अपने ग्राहक को किसी भी स्तर तक गिरा सकता है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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