बच्चा पैदा करने के बाद अपराध भाव || (2020)

Acharya Prashant

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बच्चा पैदा करने के बाद अपराध भाव || (2020)

प्रश्नकर्ता: मेरे दो बच्चे हैं — आठ वर्ष और दो वर्ष के। जबसे आपको सुनने लगा हूँ, धीरे-धीरे समझ में आने लगा है कि मुझे दूसरा बच्चा नहीं करना चाहिए था। शायद पहला बच्चा भी करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। अब मुझे जलवायु-परिवर्तन के कारण दुनिया के भविष्य की और इन बच्चों के भविष्य की भी बड़ी चिंता होती है। ऐसा एहसास होता है जैसे मैं कोई पाप ही कर बैठा हूँ। मदद करें।

आचार्य प्रशांत: देखिए, दो बातें समझनी होंगी। मैं बार-बार कहा करता हूँ कि अब पृथ्वी के पास गुंजाइश बची नहीं है कि वो एक भी अतिरिक्त आदमी का बोझ सहर्ष स्वीकार कर सके। पृथ्वी पर मानवों की आबादी करीब आठ-सौ करोड़ हो रही है। ये आठ-सौ करोड़ ही जितने हो सकते हैं उससे बहुत ज़्यादा हैं। संख्या का, सीमा का कब का उल्लंघन हो चुका है। तो और ज़्यादा जीव, और ज़्यादा मनुष्य इस दुनिया में आएँ ये बात कहीं से भी बोध की नहीं है। और ये बात बहुत ज़्यादा क्रूरता की है जब आप अन्य प्रजातियों का, दूसरे जीवों का ख़्याल करते हैं।

तो एक ओर तो मैं साफ़-साफ़ कहा करता हूँ कि बच्चे पैदा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर पति-पत्नी को बहुत ही भावना उठती है कि घर में बच्चा होना चाहिए तो अधिक-से-अधिक एक बच्चा आप करलें, दूसरा तो कतई ना करें। ये काल ऐसा है, ये समय ऐसा है कि इस समय में आबादी बढ़ाना पाप-तुल्य ही है। तो एक बात तो ये है जो मैं कहता हूँ।

और एक दूसरी बात भी है। दूसरी बात ये है कि एक बार अगर कोई जीव पैदा हो गया तो अब उसे जीवन का पूरा अधिकार है और वो आपके प्रेम का, आपकी करुणा का पूरी तरह से पात्र है। वो नहीं पैदा हुआ होता, कोई बात नहीं होती। शायद भला ही होता कि वो ना पैदा हुआ होता। पर अगर वो पैदा हो गया है तो अब उसको पाप समझना ठीक नहीं है। अगर वो पैदा हो गया है तो उसको आप अच्छी-से-अच्छी, सुंदर-से-सुंदर परवरिश दीजिए। जितने भी बोधपूर्ण तरीके से हो सकता है, उसका पालन-पोषण करिए। ग्लानि-भाव से, अपराध-भाव से उसकी ओर मत देखिए। अपराध अगर किसी ने किया भी है तो आपने किया है न, उस बच्चे ने तो नहीं किया है। बच्चे की क्या ग़लती है कि आप उसके ऊपर अपनी ग्लानि का ठीकरा फोड़ें। ये भी हो सकता है कि कोई अपना तीसरा बच्चा पैदा कर रहा हो, चौथा बच्चा पैदा कर रहा हो, उनको मैं बहुत ज़ोर के साथ ये सलाह दूँगा कि आप ऐसा ना करें। पर फिर भी अगर बच्चे का जन्म हो जाता है तो मैं कहूँगा अब ये बच्चा पूरे तरीके से आपके प्रेम का हक़दार है। ये नहीं आया होता, कोई बात ना होती पर अगर अब आ गया है तो इसकी ना तो उपेक्षा करें, ना अनादर करें और ना ही उसे प्रेम से वंचित रखें।

आपके दो बच्चे हैं, आप उनको बहुत क़ाबिल मनुष्य बनाएँ, जिनमें ज़िंदगी को साफ़ देख पाने की दृष्टि हो, जिनमें इंसानों के प्रति भी और प्रकृति के प्रति, पशुओं के प्रति गहरा करुणा-भाव हो, जो संसार को इस नज़र से ना देखते हों कि वो संसार को लूटने-खसोटने-भोगने के लिए पैदा हुए हैं, जो संसार को जानते हों कि एक सराय जैसा है जहाँ अपने बर्ताव का, आचरण का बड़ा ख़्याल रखना है और सराय में रह करके अपनी मंज़िल को नहीं भूल जाना है। तो ऐसे करें, आगे बढ़ें। बस अब तीसरा बच्चा मत पैदा कर लीजिएगा।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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