अगर आप अपने लक्ष्यों में बार-बार असफलता पाते हैं तो इसकी वजह संकल्पशक्ति, विल पावर इत्यादि का अभाव नहीं है। इसकी वजह ये है कि आपके लक्ष्य हैं ही ग़लत। सही लक्ष्य तो प्रेम-प्रसंग की तरह होता है, वह पकड़ लेता है, आप उसे फिर छोड़ना भी चाहोगे वो आपको नहीं छोड़ेगा।
यह गजब मत कर लीजिएगा कि अगर लक्ष्यों में सफलता नहीं मिल रही तो किसी मोटिवेशन की दूकान में जाकर के बैठ गए। वह भी आजकल खूब चल रहा है, वहाँ बताया जाता है कि कैसे अपनी इच्छाएँ पूरी करनी है, कैसे अपने लक्ष्यों को हासिल करना है, बिना कभी यह पूछे कि, “तेरा लक्ष्य है क्या?”
कितना मज़ा है कि कोई बनना चाहता हो हत्यारा और वह जाए किन्हीं मोटिवेशनल गुरु के सामने खड़ा हो जाए। कहे कि, “लक्ष्य एक बनाया है लेकिन पूरा नहीं हो पाता है, बड़ा आलस आता है, भीतर से इच्छा नहीं उठती है।“ और गुरुदेव अपनी सब अदाओं के साथ उसको बिलकुल आश्वस्त कर दें, ‘यू कैन डू इट !’ (तुम कर सकते हो!) और वो निकाले तमंचा और मारे ‘भो!’ बोले, “*आई डिड इट (मैंने कर दिया)*”।