असली ताकत और सुंदरता क्या है?

Acharya Prashant

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असली ताकत और सुंदरता क्या है?
ज्ञान है आपकी असली ताकत; आपका कौशल आपकी असली ताकत है; आपने दुनिया कितनी देखी है, ये आपकी असली ताकत है। अगर शरीर की भी सुंदरता की बात करनी है तो शरीर की सुंदरता है शरीर की ताकत, फिटनेस। शरीर ताकतवर रखो, फिट रखो। यह सारांश प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के स्वयंसेवकों द्वारा बनाया गया है

आचार्य प्रशांत: ये जो लड़के या पुरुष, लड़कियों या स्त्रियों पर रीझते हैं, ये बात लड़कियों को ऐसा लगता है जैसे उनकी ताकत है। नहीं, ये तुम्हारी ताकत नहीं है; ये तुम्हारे लिए बहुत बड़ा ख़तरा है क्योंकि अगर आप सोलह की या अठारह की या बीस की या पच्चीस की हैं, और आप पा रही हैं कि आपको दुनिया से ध्यान और वाहवाही और तारीफ और कई बार रुपया-पैसा भी सिर्फ इसी बात पर मिल जा रहा है कि आपका शरीर सुंदर है—जो कि कई बार होता है, होता है कि नहीं?—तो फिर आपके पास अब वजह क्या बची अपने भीतर दूसरे गुण विकसित करने की? जीवन में ऊँचाइयाँ और उपलब्धियाँ हासिल करने की? आप कहने लग जाती हैं, ऐसा संभव है कि आप ऐसा कहने लग जाएँ, कि - "भई, मेरी तो देह सुंदर है, चेहरा-मोहरा आकर्षक है, मुझे तो इतने से ही सब कुछ मिला जा रहा है। देखो, बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियों वाले पुरुष भी मेरे पीछे कतार लगाकर खड़े हैं तो मैं करूँगी क्या उपलब्धियाँ हासिल करके? एक-से-एक ऊँची नौकरियों के लोग आतुर हैं मेरा साथ पाने को तो मुझे क्या करना है कोई ऊँची नौकरी पा करके? बहुत जिन्होंने बड़ी-बड़ी शिक्षाएँ ले लीं, वो भी मेरे आगे नाक रगड़ रहे हैं, एक घुटने पर बैठे हुए हैं और कह रहे हैं बस अपना हाथ दे दो। और ये सब वो लोग हैं जिन्होंने बड़ी ऊँची-ऊँची शिक्षा पाई हुई है, तो मुझे क्या ज़रूरत है बहुत ऊँची शिक्षा पाने की? इतनी मेहनत कौन करे? अरे भई! मुझे तो अपनी शक्ल के आधार पर ही इतने ऊँचे-ऊँचे लोग मिल गए तो मुझे और मेहनत करने की ज़रूरत क्या है?” इस तरह का लालच उठ सकता है।

इस तरह के लालच के विरुद्ध खबरदार रहने की, सावधान रहने की बहुत ज़रूरत है सब स्त्रियों को। क्योंकि ये पुरुष जो आपकी देह को देख कर आपके सामने झुक रहे हैं और आपकी प्रशंसा कर रहे हैं, ये सिर्फ आपकी देह के भूखे हैं। इनकी प्रशंसा बहुत दिन तक नहीं चलेगी। लेकिन अगर आपने असली कमाई करी है ज्ञान की, चरित्र की, ताकत की और उपलब्धियों की, तो वो असली कमाई आपके साथ जीवन भर चलेगी। पुरुषों से आपको जो ध्यान मिल रहा है, उसको बहुत महत्व मत दे लीजिएगा। लेकिन पुरुषों से मिलते ध्यान को आप महत्व तब न दें न जब आप अपने रूप-यौवन को बहुत महत्व ना दें।

दुनिया भर में साज-श्रृंगार के, कॉस्मेटिक्स के जितने सामान बिकते हैं, उसका अस्सी-नब्बे प्रतिशत स्त्रियाँ खरीदती हैं। कॉस्मेटिक्स की बिक्री का अस्सी-नब्बे प्रतिशत स्त्रियों से आता है। यहीं पर तो ख़तरा है! और ये प्रतिशत और ये क्षेत्र जिसमें ये अस्सी-नब्बे प्रतिशत आंकड़ा है, उन बहुत चुनिंदा, बिरले क्षेत्रों में है जहाँ स्त्रियों का पुरुषों पर वर्चस्व है। नहीं तो दुनिया का और कोई भी क्षेत्र देख लो उसमें पुरुष अस्सी-नब्बे प्रतिशत अधिकार लेकर बैठे होंगे और स्त्रियों का पाँच-दस प्रतिशत होगा। ये बात मुझे बड़ी अजीब लगी। दुनिया की कुल संपत्ति दो-चार प्रतिशत महिलाओं के पास है, पच्चानवे प्रतिशत पुरुषों के पास है। दुनिया की संसदों में और विधान सभाओं में स्त्रियों का अनुपात पाँच-दस प्रतिशत, नब्बे प्रतिशत कौन हैं? पुरुष हैं। दुनिया की कंपनियों में, शीर्ष पदों पर जो लोग हैं—'सीएक्सओज़' बोलते हैं जिनको, सीईओ, सीओओ, सीटीओ—इनमें महिलाओं की भागीदारी कितनी? पाँच-दस प्रतिशत, नब्बे प्रतिशत पुरुष हैं। लेकिन सुंदरता बढ़ाने वाली चीज़ों में महिलाओं की भागीदारी कितनी? वहाँ नब्बे प्रतिशत; वहाँ पुरुष बस दस प्रतिशत हैं। तुम्हें इन में सीधा-सीधा संबंध नहीं दिखाई पड़ रहा?

ये जो देह की सुंदरता है, जिसकी तुम बात कर रही हो, यही स्त्रियों का बहुत बड़ा बंधन है, और जब तक स्त्री अपनी देह की प्राकृतिक सुंदरता के बंधन से आगे नहीं बढ़ेगी, तब तक वो संसार में अपनी हस्ती, अपना वजूद, अपनी ताकत स्थापित नहीं कर पाएगी। आ रही है बात समझ में?

ज्ञान है आपकी असली ताकत; आपका कौशल आपकी असली ताकत है; आपने दुनिया कितनी देखी है, आपका अनुभव कितना है, ये आपकी असली ताकत है।

ये थोड़े ही कि आपका पुरुष गाड़ी चला रहा है और आप उसकी बगल की सीट में बैठकर के, सामने आईना खोल करके—जो सनशील्ड होती है न ड्राइवर के बगल वाली सीट पर, उसको ऐसे पलटो तो उसमें एक छोटा सा आईना लगा होता है। तो पुरुष महोदय गाड़ी चला रहे हैं और बगल में सुंदर-सुंदर देवी जी बैठी हैं, वो क्या कर रही हैं? वो उसमें बाल संवार रही हैं और ऐसे-ऐसे होठों पर लाली घिस रही हैं। गाड़ी चलाने वाला कौन? और वो गाड़ी है भी किसकी? पुरुष गाड़ी खरीद रहा है, पुरुष गाड़ी चला रहा है, और देवी जी का काम है सुंदरता निहारना।

आप सुंदरता ही निखारती रह जाओगी तो आप जीवन कब निखारोगी अपना? लेकिन मेरी बात के विरुद्ध कुतर्क मत करने लग जाना। जल्दी से कूदकर मेरा विरोध मत करने लग जाना। मेरी बात से अक्सर स्त्रियों को ही बड़ी आपत्ति रहती है। खासतौर पर जो लिबरल स्त्रियाँ हैं उनको। वो कहती हैं - "हमारे ख़िलाफ कुछ बोलो ही मत; हम बिल्कुल सही हैं"। और एक और उनका ज़बरदस्त तर्क रहता है - "तुम स्त्री हो क्या? तो तुम्हें हमारे मन का क्या पता? हाउ इज़ अ मैन टॉकिंग अबाउट वीमेन्स इश्यूज़?" ये तो गज़ब हो गया!

हर तरीके की ताकत अर्जित करो। दूसरे की गाड़ी में बगल में बैठ कर के लिपस्टिक घिसना ना ताकत की बात है ना गौरव की बात है, और इसमें कोई सुंदरता भी नहीं है। गाड़ी तुम्हारी होनी चाहिए। गाड़ी तुम्हारी होनी चाहिए, स्टेरिंग भी तुम्हारे हाथ में होना चाहिए। गाड़ी कहाँ को जानी है, इसका फैसला भी तुम्हें करना चाहिए। ये है सौंदर्य। और गाड़ी कहाँ को ले जानी है, ये फैसला करने का बोध भी तुम्हारे पास होना चाहिए। ये नहीं कि - "मेरी जहाँ मर्जी होगी मैं वहाँ लेकर जाऊँगी। मैं तो आज की नारी हूँ। मुझे कोई रोके नहीं, मुझे कोई टोके नहीं"। नहीं, मन की उच्श्रृंखलता को, मनचले हो जाने को, मनमर्जी चलाने को आज़ादी नहीं कहते। ये कोई लिबरल बात नहीं है कि ना ज़िंदगी समझी, ना जानी, ना उन किताबों के पास गए, ना उन लोगों के पास गए जिनसे जीवन को जानने में कुछ मदद मिल सकती है, और कहने लग गए कि - "मैं तो लिब्रेटेड हूँ। मैं तो अपने ही हिसाब से चलूँगी"। ये कोई ठीक बात नहीं हुई।

तो गाड़ी तुम्हारी हो, स्टेरिंग तुम्हारे हाथ में हो, गाड़ी की मंज़िल भी तुम्हीं ने तय की हो, और उस मंज़िल को ठीक से तय कर पाने का बोध हो तुम्हारे पास, इसमें सौंदर्य है। ये हुई असली सुंदरता।

अगर शरीर की सुंदरता से ही इतना ज़्यादा प्रयोजन है आपको, तो शरीर की सुंदरता से भी आशय क्या है आपका? खाल की सुंदरता? नहीं। अगर शरीर की भी सुंदरता की बात करनी है तो शरीर की सुंदरता है शरीर की ताकत, फिटनेस। शरीर ताकतवर रखो, फिट रखो। दौड़ना आना चाहिए; ये नहीं कि हील इतनी ऊँची है कि दौड़े तो एड़ी मुड़ गई और "उइ माँ!” और तुम्हारे घूँसे में जान होनी चाहिए कि किसी के भी चेहरे पर पड़े, किसी ताकतवर पुरुष के चेहरे पर भी पड़े, तो मुँह तोड़ दे। ये है सुंदरता।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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