आलस की समस्या का आखिरी हल || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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आलस की समस्या का आखिरी हल || नीम लड्डू

तुमको आलस प्यारा है तो कर लो आलस, बस यह झूठ मत बोल देना कि आलस ने तुम्हें विवश कर दिया, कि आलस ने तुम्हें पकड़ लिया। आलस ने तुम्हें नहीं पकड़ लिया, तुमने आलस को पकड़ा है। कोई विवशता नहीं है, आलस तुम्हारा चुनाव है। हर बात में तो आलस नहीं आता तुम्हें।

आलस अगर तुम्हारी विवशता ही होती तो तुम्हें उन कामों में भी आलस आता जो बड़े मज़े के होते हैं। उन कामों में तो कभी आलस करते देखा नहीं गया। आलस भी चुन-चुन कर करते हो, और फिर कहते हो, “मजबूरी है, मन बड़ा आलसी है!”

बात तुम्हारे चुनाव की है, जिन चीज़ों के साथ तुम्हारी वृत्तियाँ सहमत रहती हैं वहाँ तुम्हें कोई आलस नहीं आता। पढ़ने में आलस, और हुड़दंग में पूरी स्फूर्ति आ जाती है, एकदम ऊर्जा आ जाती है! “कबीरा यह मन आलसी समझे नहीं गँवार, भजन करे को आलसी खाने को तैयार।“

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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