ऐसी मिले तो ठीक, वरना अकेले भले || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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ऐसी मिले तो ठीक, वरना अकेले भले || नीम लड्डू

अध्यात्म यह नहीं कहता कि तुम स्त्री को त्याग ही दो। अध्यात्म इस बात की अक्ल देता है कि कैसी स्त्री की संगति करनी है।

किसने कह दिया कि अध्यात्म ने पाबंदी लगा रखी है स्त्री सहवास पर? कृष्ण को नहीं देखा? राम को नहीं देखा? इतने ऋषि-मुनि थे, इनकी सबकी पत्नियाँ थीं; बहुत सारे थे जिनकी नहीं भी थीं। तो अध्यात्म इस विषय पर कोई नियम बनाता ही नहीं, कुछ अनिवार्य करता ही नहीं।

तुम्हारी प्रगति के रास्ते में कोई ऐसी स्त्री मिल जाए जो सहायक होगी, तुम्हारा रास्ता जल्दी निपटाने में मदद करेगी, बेशक़ उसके साथ हो लो भाई!

कोई नहीं मिले तो अच्छी बात। कोई ऐसी मिलती हो जिसके साथ अगर हो लिए तो रास्ता और गड़बड़ हो जाएगा तो फिर उससे दूर-दूर रहना है – यह है अध्यात्म।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant.
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