ऐसे गँवा रहे हो ज़िंदगी || नीम लड्डू

Acharya Prashant

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ऐसे गँवा रहे हो ज़िंदगी || नीम लड्डू

माया एक औसत ज़िंदगी का नाम है।

उफ्! कैसे पकड़ोगे?

द एवरेज लाइफ़!

माया, वो चेहरा है जिसमें कुछ खास नहीं। तुम उसे याद ही नहीं रख सकते, इतना साधारण चेहरा है माया। माया जीवन के उन दिनों, उन घण्टों, उन हफ़्तों, उन पलों का नाम है जिनमें कुछ खास हुआ ही नहीं; वह माया है। जिसको तुम कहते हो न, “हाँ, जीवन बिलकुल सामान्य चल रहा है, ठीक-ठाक चल रहा है” – यह माया है। यहाँ पर मार खा रहे हो, यहाँ ज़िंदगी गँवा रहे हो। जब कुछ खास होता है तब तो जग जाते हो, सचेत हो जाते हो। हो जाते हो कि नहीं हो जाते हो? तो मार वहाँ खा रहे हो जहाँ सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, सब औसत, एवरेज , सामान्य; वहाँ माया है।

This article has been created by volunteers of the PrashantAdvait Foundation from transcriptions of sessions by Acharya Prashant
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