Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
दैनिक जागरण30 मार्च 2023
राम निराकार भी साकार भी
दैनिक जागरण के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने रामनवमी के अवसर पर राम के निराकार और साकार दोनों रूपों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मन को स्थिर करने के लिए एक आदर्श की आवश्यकता होती है, और राम इस आदर्श के प्रतीक हैं। राम का साकार रूप हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जबकि उनका निराकार रूप अनंतता का प्रतीक है। प्रत्येक युग में राम का स्वरूप बदलता है, लेकिन उनका महत्व और शिक्षाएं सदैव स्थिर रहती हैं।
Full Coverage
अमर उजाला29 मार्च 2023
मनुष्य मशीन भर नहीं
अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि जीवन में सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए मशीन की तरह काम करना नहीं, बल्कि रचनात्मक सोच को अपनाना जरूरी है। उन्होंने समझाया कि मनुष्य केवल भौतिक कार्यों का निष्पादन करने वाला यंत्र नहीं है, बल्कि उसमें आत्मिक और रचनात्मक क्षमताएं भी हैं। सही दृष्टिकोण और रचनात्मकता से ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।
Full Coverage
अमर उजाला27 मार्च 2023
समय के प्रवाह का विज्ञान समझना आवश्यक
अमर उजाला में प्रकाशित लेख के अनुसार ऋषिकेश में प्रशांत अद्वैत संस्था के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने दो दिवसीय कार्यशाला में समय के वैज्ञानिक महत्व पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि विचार और समय के बीच का संबंध साफ देखना होगा, तब ही हम जीवन के सबसे बहुमूल्य संसाधन समय का सम्यक उपयोग कर पाएंगे।
Full Coverage
Garhwal PostMarch 27, 2023
Liberation is only purpose of life: Aacharya Prashant
Acharya Prashant emphasizes that liberation is the ultimate aim of life. He argues that true freedom and fulfillment come from aligning with one's inner self and living a life of spiritual clarity. Acharya Prashant advocates for the integration of spiritual practices into daily life, viewing them as essential for overcoming life's turmoil and achieving lasting peace and contentment (Garhwal Post) (Garhwal Post).
Full Coverage
The PioneerMarch 27, 2023
Spirituality the only way to get rid of sorrow: Acharya Prashant
In an address at a Rishikesh workshop, Acharya Prashant emphasized that spirituality is the only way to overcome sorrow. He discussed the importance of accepting sadness to gradually alleviate it and highlighted the necessity of recognizing the value of time and living with clarity to achieve liberation. Acharya Prashant stressed that spirituality should be a primary goal for a fulfilled life.
Full Coverage
Read PDF
THE NEW INDIAN EXPRESSMarch 26, 2023
Answering Fear with Faith
Acharya Prashant explores how fear drives people towards faith rather than an understanding of spiritual principles. Through compelling anecdotes and profound insights, he emphasizes that fear can often be a catalyst for spiritual awakening and devotion, particularly in challenging times. This piece delves into the intricate relationship between fear and faith, encouraging readers to find strength and wisdom in their spiritual journey
Full Coverage
Read PDF
हिंदुस्तान न्यूज़26 मार्च 2023
समय है सबसे मूल्यवान
हिंदुस्तान न्यूज़ में प्रकाशित लेख के अनुसार प्रशांत अद्वैत संस्था के संस्थापक आचार्य प्रशांत ने ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में समय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि समय दुनिया में सबसे मूल्यवान है। प्रकृति बदलती है और समय के हिसाब से जीवन में बदलाव अनिवार्य है।
Full Coverage
The PioneerMarch 25, 2023
Self-help versus spirituality
Acharya Prashant challenges the self-help illusion in The Pioneer, asserting true spirituality begins when the ego accepts it needs no aid, and transformation occurs by relinquishing ego control.
Full Coverage
Read PDF
दैनिक जागरण24 मार्च 2023
क्या शक्ति ही शिव का द्वार है?
Full Coverage
राष्ट्रीय सहारा23 मार्च 2023
ध्यान: आचार्य प्रशांत
राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया कि ध्यान में अपने-आप में कुछ भी नहीं है। ध्यान को जब भी कुछ बनाया जाएगा, तो ध्यान के साथ दुर्व्यवहार हो जाएगा। हमारा स्वभाव है ध्यान। ध्यान कोई क्रिया नहीं है। ध्यान का मतलब होता है कि कोशिश किए बिना, मन एकाग्रता की स्थिति में हो। ध्यान केवल आत्मसाक्षात्कार की स्थिति है, जिसमें मन का आत्मा से गहरा संबंध हो जाता है। ध्यान एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मन बिना किसी प्रयास के, अपनी स्वाभाविक स्थिति में स्थिर हो जाता है।