Media and Public Interaction

Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
उचित-अनुचित
राष्ट्रीय सहारा
28 सितंबर 2023

उचित-अनुचित

राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में, आचार्य प्रशांत ने सही और गलत के निर्णय लेने के महत्व पर प्रकाश डाला है। वे बताते हैं कि आत्म-जागरूकता और आत्म-चिंतन के माध्यम से सही निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। सही निर्णय लेना एक कला है, जिसे आत्म-मूल्यांकन से सीखा जा सकता है।
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कर्म ही आपकी मनोस्थिति की गवाही है
दैनिक जागरण
28 सितंबर 2023

कर्म ही आपकी मनोस्थिति की गवाही है

दैनिक जागरण के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने बताया है कि हमारे कर्म हमारी मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति की गवाही देते हैं। वे कहते हैं कि जब हम अपने आप से दूर महसूस करते हैं, तो ध्यान और लक्ष्यों की आवश्यकता होती है। आत्मा हमेशा असंग रहता है, और इसलिए हमारे कर्म ही हमें यह बताते हैं कि हम कहां खड़े हैं। आचार्य प्रशांत ने इस बात पर जोर दिया है कि आत्मा से प्रेम और शांति पाने के लिए हमें ईमानदारी और ध्यान की आवश्यकता है। लेख में ध्यान और समर्पण के माध्यम से आत्मा से जुड़ने के मार्ग पर विस्तार से चर्चा की गई है।
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चैट जीपीटी क्या नहीं कर सकता?
अमर उजाला
27 सितंबर 2023

चैट जीपीटी क्या नहीं कर सकता?

अमर उजाला के इस लेख में, आचार्य प्रशांत ने एआई और चैट जीपीटी की सीमाओं पर चर्चा की है। वे बताते हैं कि एआई मानवीय गुणों जैसे प्रेम, करुणा और आध्यात्मिकता को नहीं समझ सकता।
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महिलाओं की तकदीर संवार देगी ये चार बातें
DNA हिंदी
25 सितंबर 2023

महिलाओं की तकदीर संवार देगी ये चार बातें

आचार्य प्रशांत ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए DNA हिंदी के इस लेख में महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उनके अनुसार, महिलाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनने के लिए अपनी सोच और दृष्टिकोण को बदलना होगा। आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देने के साथ, आचार्य प्रशांत महिलाओं को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देते हैं। उनकी शिक्षाएँ महिलाओं को जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाती हैं।
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मन सही लक्ष्य से भटक क्यों जाता है?
राष्ट्रीय सहारा
21 सितंबर 2023

मन सही लक्ष्य से भटक क्यों जाता है?

आचार्य प्रशांत बताते हैं कि हम जन्म से ही दुख में जीते हैं और इसका सही ज्ञान नहीं होता। वे कहते हैं कि अपने दर्द को समझना ही सही मार्ग दिखा सकता है। इस लेख में आत्मज्ञान, संवेदनशीलता, और मन की स्थिरता पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में, यह बताया गया है कि अगर हम अपनी स्थिति का सटीक संज्ञान लें तो हमारी भटकन समाप्त हो सकती है।
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जब आलस्य के कारण कुछ करने का मन न हो
अमर उजाला
20 सितंबर 2023

जब आलस्य के कारण कुछ करने का मन न हो

अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत आलस्य के कारण मन में उत्पन्न होने वाली उदासीनता और निराशा के बारे में बताते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि धन के अभाव में व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है, जिससे गुलामी की स्थिति उत्पन्न होती है। आचार्य प्रशांत यह समझाते हैं कि आलस्य से निकलने का एकमात्र उपाय आत्मानुशासन और आत्मसाक्षात्कार है।
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क्या आज हिंदी की दुर्दशा के लिए हम भी जिम्मेदार नहीं है?
दैनिक जागरण
14 सितंबर 2023

क्या आज हिंदी की दुर्दशा के लिए हम भी जिम्मेदार नहीं है?

दैनिक जागरण के इस लेख में, आचार्य प्रशांत ने हिन्दी भाषा की गिरावट पर चर्चा की है। जापान और जर्मनी की तरह भारत में भी मातृभाषा के प्रति गर्व क्यों नहीं है, इस पर सवाल उठाया गया है। हिन्दी की उपेक्षा और अंग्रेजी के प्रभाव को मुख्य कारण बताया गया है। लेख में, हिन्दी के महत्व और उसकी समृद्धि के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
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सनातन धर्म
राष्ट्रीय सहारा
14 सितंबर 2023

सनातन धर्म

राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में आचार्य प्रशांत लिखते है धर्म का अर्थ होता है, जो धारण करने योग्य है, और वो कर्म जो करने योग्य हैं, तो धर्म ऊपर से एक कर्तव्य या जिम्मेदारी है। जो भी समय के अनुसार बदलते रहते हैं, वो संनातन धर्म हुआ - वो जिम्मेदारी जो आपको सदैव पूरी करनी है। हर व्यक्ति का धर्म है कि वह अपने मानसिक मुक्ति की तरफ अग्रसर हो। धर्म वह है जो आपको डर, भ्रम, लालच, अज्ञान से मुक्त करता है। सनातन धर्म का अर्थ है आत्मज्ञान और आत्मदर्शन, जिससे व्यक्ति स्वयं को पहचान सके और अपनी सच्ची स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर हो सके।
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मन को आत्मा की ओर ले जाए सनातन धर्म
अमर उजाला
13 सितंबर 2023

मन को आत्मा की ओर ले जाए सनातन धर्म

अमर उजाला के इस लेख में आचार्य प्रशांत लिखते है सनातन धर्म का अर्थ है जो काल की सीमाओं से परे हो, जिसमें निरंतरता हो। जो धर्म समय के अनुसार बदलता रहे, वही सनातन धर्म है। यह आपको हमेशा शांति की ओर अग्रसर करता है। आज का जो व्यावहारिक धर्म है, उसमें बदलाव की आवश्यकता है ताकि सनातन धर्म की मूल भावना को बनाए रखा जा सके। यह धर्म व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है, उसे भय, भ्रम, और अज्ञान से मुक्त करता है, और उसे सच्चे ज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
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आशा कैसे बनी रहती है?
ABP Live
8 सितंबर 2023

आशा कैसे बनी रहती है?

इस ABP Live साक्षात्कार में, आचार्य प्रशांत बताते हैं कि कैसे हम जीवन के तथ्यों के बावजूद आशा लगाए रखते हैं। वे समझाते हैं कि कैसे नई संभावनाओं की उम्मीद हमें जीवनभर नचाती रहती है, जबकि हमें कम ही मिलता है, लेकिन मिलने की आशा बहुत ज्यादा बनी रहती है। आचार्य प्रशांत का यह दृष्टिकोण हमें आशा और वास्तविकता के बीच के संतुलन को समझने में मदद करता है।
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