Media and Public Interaction

Here is the comprehensive list of articles published by prestigious top media houses and renowned national dailies, based on Acharya Prashant's teachings.
वीगनिज्म
राष्ट्रीय सहारा
27 जुलाई 2023

वीगनिज्म

आचार्य प्रशांत ने वीगनिज्म के आध्यात्मिक आधार पर जोर देते हुए राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में कहा कि यदि वीगनिज्म सच्चा है, तो यह आत्मिक विकास का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि दूसरे जीवों पर अत्याचार न करना और न्यूनतम हिंसा का पालन करना सच्चे वीगनिज्म का मूल है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध रख सकता है, जिससे जीवन में सच्ची शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है।
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वासना से ही शरीर का जन्म, फिर वासना गलत कैसे?
IBC 24
26 जुलाई 2023

वासना से ही शरीर का जन्म, फिर वासना गलत कैसे?

IBC24 के इस लेख में आचार्य प्रशांत लिखते है शरीर का जन्म वासना से होता है, और इसे गलत क्यों नहीं माना जाना चाहिए। लेख में तर्क दिया गया है कि आत्मा न तो जन्म लेती है न मरती है, और वासना से उत्पन्न होने वाले शरीर को सही रूप में समझने की आवश्यकता है। आध्यात्मिक दृष्टि से, शरीर को केवल एक वाहन मानना चाहिए, न कि अंतिम सत्य।
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The working professional code
THE NEW INDIAN EXPRESS
July 23, 2023

The working professional code

Acharya Prashant discusses the core elements of professionalism, emphasizing commitment, prioritization, goal clarity, and decision-making. He delves into the importance of aligning work with one's deep needs and the joy derived from the process itself, highlighting the essence of true professional excellence.
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पुनर्जन्म
राष्ट्रीय सहारा
20 जुलाई 2023

पुनर्जन्म

आचार्य प्रशांत ने राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में पुनर्जन्म को आत्मिक जागरूकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि सच्चा पुनर्जन्म हमारे जीवन में गहराई से आत्म-जागरूकता प्राप्त करने से होता है। उन्होंने बताया कि हमें अपने कर्म, विचार और आत्मिक उद्देश्य पर ध्यान देना चाहिए ताकि हम अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकें।
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हौसला
राष्ट्रीय सहारा
13 जुलाई 2023

हौसला

आचार्य प्रशांत ने राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में जीवन में हौसले के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर असफलता हमें नया सीखने और फिर से प्रयास करने का मौका देती है। निरंतर प्रयास और आत्मविश्वास हमें जीवन में सफलता दिला सकते हैं। हार को स्वीकार करना और उससे सीखना ही असली हौसला है। यह हमें मानसिक और आत्मिक रूप से मजबूत बनाता है और हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
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अध्यात्म और संस्कृति से जुड़ा हो युवाओं का रिश्ता
अमर उजाला
12 जुलाई 2023

अध्यात्म और संस्कृति से जुड़ा हो युवाओं का रिश्ता

इस लेख में बताया गया है कि युवा पीढ़ी को आध्यात्म और भारतीय संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता है। आचार्य प्रशांत ने संस्कृति के अंधानुकरण के बजाय आत्म-साक्षात्कार पर जोर दिया है। प्रकाशित: अमर उजाला, 12 जुलाई 2023।
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सुंदरता
राष्ट्रीय सहारा
6 जुलाई 2023

सुंदरता

राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में आचार्य प्रशांत ने असली सुंदरता का महत्व बताते हुए कहा कि बाहरी सुंदरता की तुलना में आंतरिक सुंदरता अधिक महत्वपूर्ण है। बाहरी सुंदरता क्षणिक और सतही होती है, जबकि आंतरिक सुंदरता स्थायी और गहरी होती है। सच्ची सुंदरता वह है जो व्यक्ति के विचारों, कार्यों और आत्मा में झलकती है।
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आचार्य प्रशांत सरल और सुगम भाषा में सुना रहे गीता के श्लोक
दैनिक भास्कर
29 जून 2023

आचार्य प्रशांत सरल और सुगम भाषा में सुना रहे गीता के श्लोक

दैनिक भास्कर में प्रकाशित लेख के अनुसार ग्रेटर नोएडा में आयोजित 'गीता समागम' श्रृंखला के तीसरे अध्याय 'कर्मयोग' पर आचार्य प्रशांत ने सत्र का संचालन किया। इस सत्र में उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत कर, आम लोगों के जीवन को अर्थपूर्ण और आसान बनाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया।
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अध्यात्म: आचार्य प्रशांत
राष्ट्रीय सहारा
29 जून 2023

अध्यात्म: आचार्य प्रशांत

आचार्य प्रशांत की शिक्षाएं जीवन के गहरे सत्य को उजागर करती हैं। वे आत्म-जागरूकता, सच्चाई और आंतरिक शांति पर बल देते हैं। उनकी दृष्टि में जीवन का सच्चा उद्देश्य बाहरी सफलता नहीं, बल्कि आंतरिक संतोष है। वे हमें प्रेरित करते हैं कि सच्ची खुशी और संतोष आत्म-अवलोकन और सही ज्ञान से ही मिलते हैं। उनके विचारों में, जीवन को समझने और जीने का सही मार्ग आत्म-चिंतन और सत्य की खोज है।
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भाषा कि उपयोगिता: आचार्य प्रशांत
राष्ट्रीय सहारा
22 जून 2023

भाषा कि उपयोगिता: आचार्य प्रशांत

आचार्य प्रशांत ने भाषा के महत्व पर जोर देते हुए राष्ट्रीय सहारा के इस लेख में कहा कि भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में उपयोगिता के आधार पर ही जीवंत रहती है। उन्होंने बताया कि भाषा की सही शिक्षा हमें आत्मनिर्भर और सक्षम बनाती है। सही तरीके से भाषा का प्रयोग करने से रोजगार और सामाजिक स्तर पर बेहतरी मिलती है। आचार्य प्रशांत ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से यह समझाया कि भाषा की वास्तविक उपयोगिता कैसे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
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