इस भ्रम में न रहें कि दुनिया आप चला रहें हैं
आचार्य प्रशांत ने अमर उजाला के इस लेख में विचार व्यक्त किया है कि हमें यह भ्रम नहीं रखना चाहिए कि दुनिया हम पर चल रही है। उन्होंने कहा है कि हमें बुद्धि को मुक्त छोड़ना चाहिए, जो अपना काम जानती है, स्मृति भी अपना काम जानती है, पूरी व्यवस्था भी अपना काम जानती है। वह कहते हैं कि हर कोई अपना काम कर लेगा, और तुम्हें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।