चित्त यदि भ्रष्ट है तो चुनाव भी भ्रष्ट होंगे। अक्सर व्यक्ति गलत होते हुए भी सही चुनाव का दावा करता है। जीवन का कोई भी चुनाव मन की मूल स्थिति की उपज है। कर्म और कर्ता को एक बताते हुए इस कोर्स में आचार्य प्रशांत द्वारा सही चुनाव करने की शिक्षा प्रदान की है।
जिज्ञासा का अध्यात्म के छेत्र में एक विशेष स्थान है। जिज्ञासा नहीं होना ही अज्ञानता की निशानी है और अज्ञानी मन हमेशा जीवन में गलत निर्णय करता है।
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