AP Books
आह! जवानी

आह! जवानी

आग है नसों में या है पानी!
5/5
15 Ratings & 5 Reviews
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹21
₹150
Paperback
In Stock
28% Off
₹199
₹280
Already have eBook?
Login

Book Details

Language
hindi
Print Length
148

Description

युवावस्था एक स्वर्णिम अवसर है जीवन को ऊँचाई देने का। यही वह समय है जो हमारे जीवन की दिशा तय करता है। एक जवान व्यक्ति या तो अपनी चेतना को आसमान की ऊँचाई दे सकता है या फ़िर कामवासना और सांसारिकता के जाल में फँसकर पतित हो सकता है।

यूँ तो एक जवान व्यक्ति के सामने चुनौतियों की कमी नहीं होती पर सोशल मीडिया के भोंडापन और बेहुदगियों ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है। आज का एक भारतीय युवक जिस स्थिति में है वह अत्यंत गम्भीर और खतरनाक है।

ऐसे समय में एक उचित मार्गदर्शन और सशक्त पथप्रदर्शन की आवश्यकता और बढ़ जाती है। आचार्य प्रशांत की पुस्तक 'आह जवानी! आग है नसों में या है पानी' एक युवक के मानसिक और शरीरिक क्षमताओं को सही दिशा देने का एक प्रयास है।

Index

1. ठरकियों को 'बोल्ड' बोलते हो? (कामुकता निडरता नहीं) 2. बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना 3. डॉक्टर हो या व्यापारी, इंस्टाग्राम क्वीन सब पर भारी 4. ये किन गानों पर नचा रहे बच्चों को? 5. मेरी मर्ज़ी मैं कुछ भी करूँ 6. बेटा, किस क्लास में हो? गूगल करना नहीं आता?
View all chapters
Get Now:
₹199
28% Off
₹280
In Stock
Free Delivery
Quantity:
1
Share this Book
क्या आपको आचार्य प्रशांत की शिक्षाओं से लाभ हुआ है? आपके योगदान से ही यह मिशन आगे बढ़ेगा।
Reader Reviews
5/5
15 Ratings & 5 Reviews
5 stars 100%
4 stars 0%
3 stars 0%
2 stars 0%
1 stars 0%