Description
रावण कौन? रावण वो जिसका 'अहम्' अपनी वृत्तियों पर चले। दस सिर प्रतीक हैं हमारे खण्डित मन और वृत्तियों के, जिनके हम ग़ुलाम हैं।
रावण वो जो अपनी वृत्तियों और वासनाओ पर चले। राम वह जिसका 'अहम्' सत्य और शान्ति को समर्पित रहे।
हमारे अन्दर ही राम होने की सम्भावना है और रावण होने की भी। रावण होना प्रकृति है हमारी, राम होने के लिए सत्य और शान्ति के प्रति अगाध प्रेम चाहिए।
कठिन है अपने भीतर के रावण को हराना क्योंकि हम जन्म से शारीरिक और मानसिक वृत्तियों पर चलते हैं, पर यह दशहरा मौक़ा है अपने भीतर के छुपे रावण को समझने का और अपने भीतर के राम के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का।
अपने भीतर के 'अहम्' रूपी रावण को समझें आचार्य प्रशांत की इस पुस्तक के माध्यम से।