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अकेलापन और निर्भरता

अकेलापन और निर्भरता

भीतर का पट खोल रे
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Book Details

Language
hindi
Print Length
170

Description

अकेलेपन का डर हमें अक्सर हमारे जीवन को अन्य वस्तुओं से भरने पर मजबूर कर देता है। वहीं से उन वस्तुओं के प्रति आसक्ति का जन्म होता है, जिसके कारण हमें जीवन में न जाने कितना दुःख भोगना पड़ता है। यदि इस डर को गहराई से समझा जाए तो जीवन सरल और बोधपूर्ण हो जाएगा। यह पुस्तक हमें उस डर के पार ले जाने का एक प्रयास है।

Index

1. अकेलापन क्यों महसूस होता है? 2. इतना क्यों लिपटते हो दुनिया से? 3. अकेले रहने में डर और परेशानी? 4. अकेलेपन से घबराहट क्यों? 5. सारा जहाँ मस्त, मैं अकेला त्रस्त 6. किसको मान रहे हो अपना?
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