दुनिया कहती है, "दोबारा मत पूछना"।
और आचार्य जी कहते है, "दोबारा भी पूछना,तिबारा भी पूछना, लगातार पूछना, जब तक समझ न जाओ।"
हम चाहते हैं कि आप होली मनाने से पहले बार-बार पूछें "क्या है होली?"
क्योंकि कोई भी काम यदि हम बिना समझे कर रहे हैं तो या तो हम मशीन हैं या फिर जानवर।
"क्या है होली?"
पूछिए, बार-बार पूछिए, समझ जाइए फिर रंग खेलिए।
ये प्रश्न हमने भी आचार्य जी से भी अनेकों बार पूछा है। उनके दिए गए हर उत्तर को आपके लिए संकलित कर एक कोर्स के रूप में तैयार किया है।
इस कोर्स के वीडिओस को देखिए। फिर इन प्रश्नों की अग्नि से गुज़र कर होली की जो शुद्ध और स्वच्छ परिभाषा निकलेगी वो आपकी अपनी होगी। वही होली असली होगी।
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