देवता और दानव के युद्ध की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी। लेकिन इस बार श्रीकृष्ण हमें इस श्लोक के माध्यम से बता रहे हैं कि–
देवता कौन हैं?
दानव कौन हैं?
और चोर कौन हैं?
ऊँचे-से-ऊँचा सपना क्या है हर आदमी का, आम-आदमी का, सबका, हमारा-आपका; क्या है? ‘ऐश करेंगे।‘ कृष्ण कह रहे हैं, ‘तुम दानव को खिलाओगे, दानव तुम्हारी ही खिलाई हुई चीज़ का इस्तेमाल करके तुमको खा जाएगा।‘ अब वो तुम्हारे ही पैसे का इस्तेमाल करके तुम्हारी ज़िंदगी और नर्क बना देंगे।
फिर वहाँ से, जैसा कृष्ण ने कहा, कि आप जब देवता को पोषण देते हो तो देवता आपको पोषण देता है, ठीक उसी तरह से जब आप दानव को पोषण देते हो तो दानव और बलशाली हो जाता है आपको खाने के लिए। जो कुछ वास्तव में देवता का अधिकार था, मिलना चाहिए था देवता को, लेकिन देवता को देने की जगह उसको आपने ही खा-पीकर उड़ा दिया, वो आपने दानव को खिला दिया। और जो ऐसा कर रहा है, कृष्ण सीधे उसको कह रहे हैं कि वह चोर ही है – ‘स्तेन', चोर।
इस कोर्स में एक बार हम पुनः यज्ञ के बारे में जानेंगे और जानेंगे आचार्य प्रशांत संग कि कैसे भीतर के देव को जागृत करें और दानव का सुरसा जैसा मुँह बंद करें।
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