क्या अनुशासन में रखने से बच्चों की परवरिश ठीक होती है?
क्या कुछ चीजें बच्चों के लिए वर्जित करनी चाहिए?
कैसे समाज और मीडिया के प्रभाव से मैं अपने बच्चे को बचा सकता हूँ?
क्या आजकल की पीढ़ी बद्तमीज है?
बात न इधर की है, न बात उधर की है। एकदम जो मूल सिद्धांत हैं, बेसिक्स (मूल बातें), उन पर वापिस आइएगा।
ज़िन्दगी में कुछ भी कर रहे हो, कुछ भी सोच रहे हो, किधर को भी जा रहे हो — यह मत कह दीजिएगा कि सबकुछ ठीक है। हम जैसे हैं, हमारे लिए हमेशा कुछ ठीक होता है और कुछ गलत होता है।' तो क्या ठीक होता है और क्या गलत होता है?
चेतन को जो ऊपर उठाए, वो काम सही है। जो चीज़ मन को साफ़ करने में प्रभावी हो, वह बेहतर है।
अंधाधुंध दमन जितना बुरा है, उससे ज़्यादा बुरी है अंधाधुंध आज़ादी। आज़ादी बुरी नहीं है, गलत हाथों में आज़ादी बुरी है। आज़ादी वाक़ई में किसी को देना चाहते हो, तो पहले उसे आज़ादी के क़ाबिल बनाओ।
सीखते हैं सारे सवालों के जवाब आचार्य प्रशांत संग।
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