स्त्री [राष्ट्रीय बेस्टसेलर]

स्त्री [राष्ट्रीय बेस्टसेलर]

आंतरिक बल की ओर
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hindi Language
238 Print Length
Description
आज़ाद जीवन एक आज़ाद मन की अभिव्यक्ति है। यदि व्यक्ति का मन मुक्त नहीं है तो मुक्ति आंदोलन शायद ही कभी अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पाएँगे।

महिला मुक्ति के लिए जो आंदोलन किये गए या किये जा रहे हैं, उनका उद्देश्य भी महिलाओं को केवल राजनीतिक और सामाजिक समानता देना रहा है; वो भी स्त्री मन की दासता के मूल कारणों को सम्बोधित करने में असफल रहे हैं।

स्त्री का वस्तुकरण ही उसकी दासता का प्रमुख कारण है।

इस दासता से मुक्ति तभी सम्भव है जब स्त्री ख़ुद को वस्तु-मात्र न समझे। दुनिया स्त्री का शोषण करती है उसे एक भौतिक वस्तु जानकर, और स्त्री उस शोषण को सहती है क्योंकि देह से उसने अपना तादात्म्य बैठा लिया है।

इस अति महत्वपूर्ण पुस्तक में आचार्य प्रशांत ने करुणापूर्वक शरीर का सही स्थान बताया है, उसके आग्रहों पर सुझाव दिया है, और स्त्री के मन की मुक्ति के मार्ग पर प्रकाश डाला है, जो कि ना केवल उसे आंतरिक बल प्रदान करता है बल्कि उसकी उच्चतम की ओर यात्रा को एक उड़ान देता है।
Index
CH1
स्त्री — न देह, न भावनाएँ
CH2
महिलाएँ अपनी पढ़ाई और नौकरी देखें या घर-गृहस्थी?
CH3
ये किसने किया भारतीय महिलाओं के साथ?
CH4
नारी देह है आपकी, पर नारी नहीं हैं आप
CH5
महिला घर बैठी रहे तो बुरा क्या?
CH6
गृहिणी होना बेहतर है या कामकाजी महिला?
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