प्रकृति माया भी है और महामाया भी। यदि न समझें तो वही दुःख का कारण बनेगी और यदि समझ गए तो वही भवसागर के पार ले जाएगी। वही बंधन है और वही मुक्ति भी। उसी प्रकृति से समूचा जगत उपजा है। जो भी चीज़ें इंद्रियों के अनुभव में आ सकती हैं वो प्रकृति ही हैं। पुरुष की देह भी प्रकृति है और स्त्री की देह भी प्रकृति है। पर कुछ तो रहस्य है कि प्रकृति को भी 'नारी' कहा जाता है और स्त्रियों को भी 'नारी' कहा जाता है। इसी रहस्य में स्त्रियों के सभी बंधनो और कष्टों के कारण छुपे हुए हैं और उनके समाधान भी। आप दोनों 'नारियों' के सम्पूर्ण रहस्य से परिचित हो सकें इसी उद्देश्य के साथ हमारी संस्था चार पुस्तकों का प्रकाशन एक साथ कर रही है। ये पुस्तकें हैं — 'स्त्री', 'शक्ति', 'दुर्गासप्तशती' और 'माँ'। इन पुस्तकों के माध्यम से आप 'जगत जननी' प्रकृति को भी समझ सकते हैं और महिलाओं के सभी दुःखो और बंधनो के कारण को भी, जिसकी पहचान हमने दुर्भाग्य से 'जननी' से ही जोड़ रखा है। स्त्रियों के उत्थान के बिना मानव जाति का उत्थान असम्भव है।
स्त्री + शक्ति + दुर्गासप्तशती + माँ
चार पुस्तकों का कॉम्बो
Paperback
In Stock
82% Off
₹399
₹2300
Already have eBook?
Login
Book Details
Language
hindi
Print Length
646
Description
प्रकृति माया भी है और महामाया भी। यदि न समझें तो वही दुःख का कारण बनेगी और यदि समझ गए तो वही भवसागर के पार ले जाएगी। वही बंधन है और वही मुक्ति भी। उसी प्रकृति से समूचा जगत उपजा है। जो भी चीज़ें इंद्रियों के अनुभव में आ सकती हैं वो प्रकृति ही हैं। पुरुष की देह भी प्रकृति है और स्त्री की देह भी प्रकृति है। पर कुछ तो रहस्य है कि प्रकृति को भी 'नारी' कहा जाता है और स्त्रियों को भी 'नारी' कहा जाता है। इसी रहस्य में स्त्रियों के सभी बंधनो और कष्टों के कारण छुपे हुए हैं और उनके समाधान भी। आप दोनों 'नारियों' के सम्पूर्ण रहस्य से परिचित हो सकें इसी उद्देश्य के साथ हमारी संस्था चार पुस्तकों का प्रकाशन एक साथ कर रही है। ये पुस्तकें हैं — 'स्त्री', 'शक्ति', 'दुर्गासप्तशती' और 'माँ'। इन पुस्तकों के माध्यम से आप 'जगत जननी' प्रकृति को भी समझ सकते हैं और महिलाओं के सभी दुःखो और बंधनो के कारण को भी, जिसकी पहचान हमने दुर्भाग्य से 'जननी' से ही जोड़ रखा है। स्त्रियों के उत्थान के बिना मानव जाति का उत्थान असम्भव है।