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शक्ति
प्रकृति से परमात्मा तक
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Paperback
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₹2007
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Book Details
Language
hindi
Print Length
214
Description
शिव केंद्र हैं, शिव सत्य हैं। शिव वो हैं जिन तक मन, ‘मन’ रहकर पहुँच नहीं सकता। शिव को तो रहस्य रहना है सदा।

शक्ति मन है, संसार है।

शिव में स्थिरता है, अचलता है।
शक्ति में गति है, चलनशीलता है।

शक्ति जीवन है, शक्ति वो सब कुछ है जिससे आप एक मनुष्य होकर के सम्बन्ध रख सकते हैं। शक्ति भाव है, शक्ति विचार है। शक्ति में संसार के सारे उतार-चढ़ाव हैं, आँसू हैं और मुस्कुराहटें हैं।

सत्य होगा अरूप, पर हम रूपों में जीते हैं। सत्य होगा अचिंत्य, पर हम विचारों और भावों में जीते हैं। सत्य होगा निराकार, पर हम तो आकार, रंग और देह में जीते हैं। सत्य होगा असीम, पर हमारा तो सब कुछ ही सीमित है।

जिन्होंने असीम की पूजा शुरू कर दी, जिन्होंने निर्गुण, निराकार को पकड़ने की चेष्टा कर ली, जिन्होंने यह कह दिया कि वो सब कुछ जो प्रकट और व्यक्त है, वो तो क्षुद्र है और असत्य है, उन्होंने जीवन से ही नाता तोड़ लिया, उनका मन बिल्कुल शुष्क और पाषाण हो गया।

अरूप तक जाने का एक मात्र मार्ग रूप है। सत्य तक जाने का हमारे लिए एक मात्र मार्ग संसार है। शिव के अन्वेषण का एक मात्र मार्ग शक्ति है। जिन्होंने संसार से किनारा कर लिया, ये कहकर कि संसार तो सत्य नहीं है, उन्होंने संसार को तो खोया ही, सत्य से भी और दूर हो गए।
Index
1. दुर्गा सप्तशती के बारे में आचार्य जी का लेख 2. समझदार हो कर भी लाचार क्यों? (दुर्गा सप्तशती पर) 3. देवी कौन हैं? (दुर्गा सप्तशती पर) 4. नवरात्रि का असली अर्थ, और मनाने का सही तरीका 5. नवरात्रि के नौ रूपों को कैसे समझें? 6. स्त्री और शक्ति
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