शिव नाश करते हैं ब्रह्मांड में स्थित सीमित वस्तुओं का। शिव नाश करते हैं सीमाओं का। सीमित का नाश करके वो तुम्हें तुम्हारे असीमित स्वभाव में ले जाते हैं और वहीं पर शांति है।
शिव माने शुभ, शिव माने असीम। परम शांति के अधिष्ठाता हैं शिव।
शिव वो हैं जो बुरे के पक्ष में नहीं हैं। वो अच्छे के भी पक्ष में नहीं हैं। शिव बस स्वयं के पक्ष में हैं।
जहाँ शिव हैं वहीं शुभ है। अच्छा-बुरा तो सब आता-जाता रहता है, तुम्हारा बनाया हुआ है। और बनाने में, चलाने में शिव की कोई रुचि नहीं। शिव का काम है - समाप्त करना। और भूलना नहीं, तुम्हें समाप्ति ही चाहिए क्योंकि तुम तो बहुत कुछ बने बैठे हो।
तुम्हें समाप्ति ही चाहिए इसलिए शिवमय हो जाओ।
शिवमय होने का अर्थ है - समाप्त होने की आरज़ू रखना।
जो ख़त्म होने को तैयार नहीं है, जिनका अभी बनाने में, सजाने में, सँवारने में बहुत रस है, शिव उनके लिए नहीं हैं।
Index
1. दुर्गा सप्तशती पर आचार्य जी का लेख2. जन्मदिवस पर, जन्मदाता को3. शिव और शंकर में क्या अंतर है?4. शिव का चरित्र ऐसा क्यों?5. शिव की तीन आँखों का अर्थ क्या?6. शिव के नाम पर व्यर्थ कहानियाँ मत उड़ाओ