ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

जहाँ शिव हैं वहीं शुभ है
4.6/5
6 Ratings
eBook Details
hindi Language
Description
शिव नाश के देवता नहीं हैं।

शिव नाश करते हैं ब्रह्मांड में स्थित सीमित वस्तुओं का। शिव नाश करते हैं सीमाओं का। सीमित का नाश करके वो तुम्हें तुम्हारे असीमित स्वभाव में ले जाते हैं और वहीं पर शांति है।

शिव माने शुभ, शिव माने असीम।
परम शांति के अधिष्ठाता हैं शिव।

शिव वो हैं जो बुरे के पक्ष में नहीं हैं।
वो अच्छे के भी पक्ष में नहीं हैं।
शिव बस स्वयं के पक्ष में हैं।

जहाँ शिव हैं वहीं शुभ है। अच्छा-बुरा तो सब आता-जाता रहता है, तुम्हारा बनाया हुआ है। और बनाने में, चलाने में शिव की कोई रुचि नहीं। शिव का काम है - समाप्त करना। और भूलना नहीं, तुम्हें समाप्ति ही चाहिए क्योंकि तुम तो बहुत कुछ बने बैठे हो।

तुम्हें समाप्ति ही चाहिए इसलिए शिवमय हो जाओ।

शिवमय होने का अर्थ है - समाप्त होने की आरज़ू रखना।

जो ख़त्म होने को तैयार नहीं है, जिनका अभी बनाने में, सजाने में, सँवारने में बहुत रस है, शिव उनके लिए नहीं हैं।
Index
CH1
दुर्गा सप्तशती पर आचार्य जी का लेख
CH2
जन्मदिवस पर, जन्मदाता को
CH3
शिव और शंकर में क्या अंतर है?
CH4
शिव का चरित्र ऐसा क्यों?
CH5
शिव की तीन आँखों का अर्थ क्या?
CH6
शिव के नाम पर व्यर्थ कहानियाँ मत उड़ाओ
Choose Format
Share this book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings? Only through your contribution will this mission move forward.
Reader Reviews
4.6/5
6 Ratings
5 stars 66%
4 stars 33%
3 stars 0%
2 stars 0%
1 stars 0%