Description
शिव नाश के देवता नहीं हैं।
शिव नाश करते हैं ब्रह्मांड में स्थित सीमित वस्तुओं का। शिव नाश करते हैं सीमाओं का। सीमित का नाश करके वो तुम्हें तुम्हारे असीमित स्वभाव में ले जाते हैं और वहीं पर शांति है।
शिव माने शुभ, शिव माने असीम।
परम शांति के अधिष्ठाता हैं शिव।
शिव वो हैं जो बुरे के पक्ष में नहीं हैं।
वो अच्छे के भी पक्ष में नहीं हैं।
शिव बस स्वयं के पक्ष में हैं।
जहाँ शिव हैं वहीं शुभ है। अच्छा-बुरा तो सब आता-जाता रहता है, तुम्हारा बनाया हुआ है। और बनाने में, चलाने में शिव की कोई रुचि नहीं। शिव का काम है - समाप्त करना। और भूलना नहीं, तुम्हें समाप्ति ही चाहिए क्योंकि तुम तो बहुत कुछ बने बैठे हो।
तुम्हें समाप्ति ही चाहिए इसलिए शिवमय हो जाओ।
शिवमय होने का अर्थ है - समाप्त होने की आरज़ू रखना।
जो ख़त्म होने को तैयार नहीं है, जिनका अभी बनाने में, सजाने में, सँवारने में बहुत रस है, शिव उनके लिए नहीं हैं।