जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या हमारे सम्बन्ध अकेलेपन से बचने के उपाय हैं, या आन्तरिक पूर्णता का प्रस्फुटन? इस पुस्तक में वक्ता ने जीवन सम्बन्धित इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला है, और सच्चे प्रेम से अवगत कराया है।
Index
1. सम्बन्ध क्या हैं?2. माँ-बाप मुझे समझते क्यों नहीं?3. मित्रता बेशर्त होती है4. हमारे रक्त-रंजित सम्बन्ध5. मोह भय में मरे, प्रेम चिंता न करे6. सम्बन्ध लाभ-आधारित, तो प्रेम-रहित
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Book Details
Language
hindi
Print Length
258
Description
जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या हमारे सम्बन्ध अकेलेपन से बचने के उपाय हैं, या आन्तरिक पूर्णता का प्रस्फुटन? इस पुस्तक में वक्ता ने जीवन सम्बन्धित इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला है, और सच्चे प्रेम से अवगत कराया है।
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1. सम्बन्ध क्या हैं?2. माँ-बाप मुझे समझते क्यों नहीं?3. मित्रता बेशर्त होती है4. हमारे रक्त-रंजित सम्बन्ध5. मोह भय में मरे, प्रेम चिंता न करे6. सम्बन्ध लाभ-आधारित, तो प्रेम-रहित