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Book Details
Language
hindi
Print Length
258
Description
जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या हमारे सम्बन्ध अकेलेपन से बचने के उपाय हैं, या आन्तरिक पूर्णता का प्रस्फुटन? इस पुस्तक में वक्ता ने जीवन सम्बन्धित इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला है, और सच्चे प्रेम से अवगत कराया है।
Index
1. सम्बन्ध क्या हैं?2. नौकरी और रिश्ते3. सम्बन्धों की जकड़ में चेतना4. सम्बन्धों के पीछे की प्रकृति5. किससे रिश्ता बनाना उचित है?6. प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं
जीवन सम्बन्ध है। व्यक्ति का व्यक्ति से सम्बन्ध, प्रकृति से सम्बन्ध, समाज से सम्बन्ध। इन सम्बन्धों का आधार क्या है? क्या है हमारे सम्बन्धों की वास्तविकता? क्या हमारे सम्बन्ध डर, लालच, मोह, आसक्ति की छाया मात्र हैं, या ये प्रेम की अभिव्यक्ति हैं? क्या हमारे सम्बन्ध अकेलेपन से बचने के उपाय हैं, या आन्तरिक पूर्णता का प्रस्फुटन? इस पुस्तक में वक्ता ने जीवन सम्बन्धित इन प्रश्नों पर प्रकाश डाला है, और सच्चे प्रेम से अवगत कराया है।
Index
1. सम्बन्ध क्या हैं?2. नौकरी और रिश्ते3. सम्बन्धों की जकड़ में चेतना4. सम्बन्धों के पीछे की प्रकृति5. किससे रिश्ता बनाना उचित है?6. प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं