सफल होने की चाहत के पीछे, सबसे पहले, तुम्हारे मन में ये भाव बैठा होना चाहिए कि मैं अभी असफल हूँ। तुम्हारे मन में ये भाव तुम्हारे मालिक बैठाते हैं।
और कौन है तुम्हारा मालिक? हर वो व्यक्ति तुम्हारा मालिक है जिसने तुम्हारे मन में ये बात भर दी है कि तुम ‘हीन’ हो। जिन-जिन स्रोतों से तुम्हें ये संदेश आता हो, वही वो स्रोत हैं जो तुम्हें ग़ुलाम रखने में उत्सुक हैं, उनसे बचो। जो भी करो, मौज में करो।
तुम सफल हो नहीं सकते क्योंकि तुम सफल हो ही।
जानिए एक सच्चे और सफल जीवन के सूत्र आचार्य प्रशांत के साथ।
Index
1. क्या सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम ज़रूरी है?2. कैरियर बनाने को ही पैदा हुए हो?3. ऐसे चुनोगे तुम कैरियर?4. सफलता का राज़5. जब आलस के कारण कुछ करने का मन न हो6. अपनी योग्यता जाननी हो तो अपनी हस्ती की परीक्षा लो