आचार्य प्रशांत द्वारा रचित अजर व रमणीय कविताओं को इस पुस्तक में एकत्रित किया गया है।
मध्यरात्रि होने पर जब संसार प्रगाढ़ निद्रावस्था में लीन होता था तब उनकी कलम से प्रादुर्भूत होती ये कविताएँ जीवन के यथार्थ दर्शन का अति सुलभ रूप में चित्रण करती थीं।
ये कविताएँ चाँद की भाँति इस तमोमय संसार में उस स्रोत की ओर इंगित करती हैं जो स्वयं चाँद को प्रकाशित करता है।
Index
1. मैं चुप हूँ (1995)2. असुर – अवतार (1995)3. मैं (जून 1995)4. इंसान (अक्टूबर 1995)5. वह रात (21 अक्टूबर 1995, रात्रि 1 बजे; धनतेरस)6. तलाश (अक्टूबर 1995)