प्रेम प्याला जो पिए

प्रेम प्याला जो पिए

संत कबीर के दोहों पर
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hindi Language
216 Print Length
Description
प्रेम प्याला जो पिए


प्रेम की जो अभिव्यक्ति हमें कबीर साहब की रचनाओं में देखने को मिलती है, वह अन्यत्र मिलना मुश्किल है। उनकी साखियाँ प्रेम की एक अद्वितीय और गहरी समझ प्रदान करती हैं, जो गहराई से आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों है।

दोहों का स्थूल अर्थ भी किया जा सकता है, पर जिस प्रेम की ओर कबीर साहब इशारा कर रहे हैं वह अति सूक्ष्म और छवियों से परे है। वास्तव में प्रकृति से तादात्म्य कम करना और मुक्ति की ओर बढ़ना ही प्रेम का सूचक है।

इस पुस्तक में आचार्य प्रशांत ने प्रेम के विभिन्न पहलुओं को हमारे सामने रखा है। वह उस प्रेम की भी बात करते हैं जो प्रेमी और प्रेमिका के बीच होता है, दोस्तों के बीच होता है, माता-पिता और बच्चों के बीच होता है।

प्रस्तुत पुस्तक में कबीर साहब के दोहों के माध्यम से प्रेम को व्यावहारिक रूप से समझाने का प्रयत्न किया गया है, कि प्रेम हमारे जीवन को रूपांतरित कर सकता है। जब हम बिना किसी अड़चन के प्रेम को अपने हृदय में उतरने देते हैं, मात्र तब ही हम वास्तव में जीवन के सौन्दर्य को देख पाते हैं।
Index
CH1
प्रेम प्याला जो पिए
CH2
भय से ही चलते रहोगे, या कभी प्रेम भी उठेगा?
CH3
सच्चा प्रेम कैसा?
CH4
सारे सूखेपन को बहा ले जाता है प्रेम
CH5
प्रेम और बोध साथ ही पनपते हैं
CH6
नैहरवा हमका न भावे
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