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पंचतंत्र
रोचक और नीतिपरक कहानियाँ
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Book Details
Language
hindi
Description
संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान है। इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास की गयी थी।

कहानी के सभी पात्र पशु और पक्षी हैं। इनकी सभी कहानियाँ रोचक और नीतिपरक हैं, जो हमें उचित-अनुचित का पाठ पढ़ाती हैं। यहाँ हमें सीख मिलती है बन्दर से, सियार से व अन्य जीव जंतुओं से।

आचार्य प्रशांत जी ने इन कहानियों की शिक्षाओं को धरातल से उठाकर अध्यात्म की ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है। आचार्य जी बताते हैं कि ये जानवर और कोई नहीं बल्कि हमारे मन के ही सभी भावों के प्रतीक हैं। सभी जानवर किसी-न-किसी रूप में हमारे भीतर ही मौजूद हैं।

आचार्य जी की व्याख्या आपको इन कहानियों में छुपे रहस्यपूर्ण ज्ञान से परिचित कराएगी। इनकी कहानियाँ ही कुछ ऐसी हैं कि कई मौकों पर आपकी हँसी नहीं रुकेगी और कई मौके ऐसे आएँगे जिनमें आप आत्म-अवलोकन में डूब जाएँगे।
Index
1. धूर्त जुलाहा और राजकुमारी 2. हँस लो, रो लो, मज़े करो 3. जानवरों से दोस्ती करके तो देखो 4. दूसरों की बुराई नहीं करनी चाहिए 5. शक करना अच्छी बात है 6. अरे, पढ़ाई में क्या रखा है!
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