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Book Details
Language
hindi
Print Length
140
Description
मोटिवेशन का ऊँचे-से-ऊँचा ग्रंथ आज तक कौन-सा हुआ है? श्रीमद्भगवद्गीता। अर्जुन के सामने एक स्थिति है और वो भीतर से कमज़ोर अनुभव कर रहा है, उसे कोई उत्साह नहीं आ रहा, तब कृष्ण उसको समझाते हैं - ये असली मोटिवेशन है।
कृष्ण उसको नहीं कहते कि चल, जल्दी लड़ जब तक तू जीत न जाए! इस तरह का कोई श्लोक है क्या गीता में? कृष्ण अर्जुन को क्या याद दिलाते हैं? कृष्ण अर्जुन को धर्म याद दिलाते हैं।
तुम्हें मोटिवेशन की नहीं, क्लैरिटी की, स्पष्टता की, ज्ञान की ज़रूरत होती है। गीता तुम्हें क्या देती है? ज्ञान देती है। उत्साह थोड़े ही बढ़ाती है कि वीर तुम बढ़े चलो!
सही लक्ष्य तुम्हारा उत्साहवर्धन करके नहीं पाया जाता, तुम्हारा ज्ञानवर्धन करके पाया जाता है। अर्जुन का एक बार भी उत्साहवर्धन नहीं करते कृष्ण, ज्ञानवर्धन करते हैं।
जानें मोटिवेशन से जुड़े सभी सवालों के जवाब आचार्य प्रशांत की इस आसान पुस्तक के माध्यम से।
Index
1. मोटिवेशन: बेहोश दौड़ने का सस्ता नशा2. 'मोटिवेशन' और 'पॉज़िटिव थिंकिंग' - पूरी बात3. भीतर फ़ौलाद चाहिए?4. यहाँ जीत-हार मायने नहीं रखती5. हार मंज़ूर है, हौसले का टूटना नहीं6. वो तुम्हें शर्मिंदा करके तुम्हें तोड़ते हैं
मोटिवेशन का ऊँचे-से-ऊँचा ग्रंथ आज तक कौन-सा हुआ है? श्रीमद्भगवद्गीता। अर्जुन के सामने एक स्थिति है और वो भीतर से कमज़ोर अनुभव कर रहा है, उसे कोई उत्साह नहीं आ रहा, तब कृष्ण उसको समझाते हैं - ये असली मोटिवेशन है।
कृष्ण उसको नहीं कहते कि चल, जल्दी लड़ जब तक तू जीत न जाए! इस तरह का कोई श्लोक है क्या गीता में? कृष्ण अर्जुन को क्या याद दिलाते हैं? कृष्ण अर्जुन को धर्म याद दिलाते हैं।
तुम्हें मोटिवेशन की नहीं, क्लैरिटी की, स्पष्टता की, ज्ञान की ज़रूरत होती है। गीता तुम्हें क्या देती है? ज्ञान देती है। उत्साह थोड़े ही बढ़ाती है कि वीर तुम बढ़े चलो!
सही लक्ष्य तुम्हारा उत्साहवर्धन करके नहीं पाया जाता, तुम्हारा ज्ञानवर्धन करके पाया जाता है। अर्जुन का एक बार भी उत्साहवर्धन नहीं करते कृष्ण, ज्ञानवर्धन करते हैं।
जानें मोटिवेशन से जुड़े सभी सवालों के जवाब आचार्य प्रशांत की इस आसान पुस्तक के माध्यम से।
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1. मोटिवेशन: बेहोश दौड़ने का सस्ता नशा2. 'मोटिवेशन' और 'पॉज़िटिव थिंकिंग' - पूरी बात3. भीतर फ़ौलाद चाहिए?4. यहाँ जीत-हार मायने नहीं रखती5. हार मंज़ूर है, हौसले का टूटना नहीं6. वो तुम्हें शर्मिंदा करके तुम्हें तोड़ते हैं