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Book Details
Language
hindi
Print Length
308
Description
विश्वभर में श्रीमद्भगवद्गीता को अध्यात्म का पर्याय माना जाता है। यहाँ तक कहा गया है कि जीवन से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर इस ग्रंथ में समाहित है। श्रीकृष्ण द्वारा वर्णित कुछ मुख्य विषयों की सूची बनाई जाए तो उसमें 'कर्मयोग' का स्थान श्रेष्ठ रहता है। यह पुस्तक आचार्य प्रशांत द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ 'कर्मयोग' पर दी गई व्याख्याओं पर आधारित है। वैसे तो यह ग्रंथ अति प्राचीन है परन्तु आचार्य प्रशांत द्वारा की गई व्याख्या इसको आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत सरल व प्रासंगिक बना देती है।
Index
1. कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्मयोग की शिक्षा2. बड़ा मुश्किल है कृष्ण से प्रेम कर पाना3. यदि ज्ञान ही श्रेष्ठ है तो कर्म की क्या आवश्यकता?4. यज्ञ क्या है? हम अपने जीवन को ही यज्ञ कैसे बना सकते हैं?5. निष्काम कर्म का महत्व6. बिना फल की इच्छा के कर्म क्यों करें?
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कर्मयोग
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ पर आधारित
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hindi
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विश्वभर में श्रीमद्भगवद्गीता को अध्यात्म का पर्याय माना जाता है। यहाँ तक कहा गया है कि जीवन से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर इस ग्रंथ में समाहित है। श्रीकृष्ण द्वारा वर्णित कुछ मुख्य विषयों की सूची बनाई जाए तो उसमें 'कर्मयोग' का स्थान श्रेष्ठ रहता है। यह पुस्तक आचार्य प्रशांत द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय ३ 'कर्मयोग' पर दी गई व्याख्याओं पर आधारित है। वैसे तो यह ग्रंथ अति प्राचीन है परन्तु आचार्य प्रशांत द्वारा की गई व्याख्या इसको आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत सरल व प्रासंगिक बना देती है।
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1. कृष्ण द्वारा अर्जुन को कर्मयोग की शिक्षा2. बड़ा मुश्किल है कृष्ण से प्रेम कर पाना3. यदि ज्ञान ही श्रेष्ठ है तो कर्म की क्या आवश्यकता?4. यज्ञ क्या है? हम अपने जीवन को ही यज्ञ कैसे बना सकते हैं?5. निष्काम कर्म का महत्व6. बिना फल की इच्छा के कर्म क्यों करें?
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