हिंदी (Hindi)

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अपनी बात, अपनी भाषा
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"जो लोग अपनी भाषा की ही इज्ज़त नहीं कर सकते, कहाँ आगे बढ़ेंगे? आध्यात्मिक रूप से नहीं, भौतिक रूप से भी नहीं आगे बढ़ेंगे।

भारत को पुनर्जागरण (रेनेसां) चाहिए; हमें सुधार नहीं चाहिए, हमें पुनर्जागरण चाहिए। हमें अपनेआप पर यकीन करना सीखना होगा।

हज़ार सालों तक मिली सामरिक हारों ने और झूठे इतिहासकारों ने — इन दोनों ने मिलकर के हमें भीतर से बिलकुल पंगु कर दिया है, छलनी-छलनी कर दिया है।
हम टूट गए हैं, हम चूरा-चूरा हो गए हैं।
हम ऐसे हो गए हैं जैसे कोई बस रोटी के लिए जिये।"

इन संवादों के माध्यम से आचार्य प्रशांत भारतीयों में अपनी ही भाषाओं के प्रति हीनभावना के मूल कारणों को समझाते हैं और उन सभी मूल्यों से अवगत करवाते हैं जो भारतीयों की असल पहचान हैं।
Index
CH1
हिंदी को नहीं, अपनी हस्ती को अपमानित कर रहे हो
CH2
हिंदी से दूर करके बच्चे की जड़ें काट रहे हो
CH3
स्मार्ट लड़कियाँ, कूल लड़के, अमीरी, और अंग्रेज़ी
CH4
अंग्रेज़ी के सामने हिंदी कैसे बचेगी और बढ़ेगी?
CH5
अंग्रेज़ी की ग़ुलामी छोड़ो
CH6
संस्कृत भाषा का महत्व
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