गुरु बेचारा क्या करे (Guru Bechara Kya Kare)

गुरु बेचारा क्या करे (Guru Bechara Kya Kare)

शिष्यत्व, समर्पण, बोध
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hindi Language
82 Print Length
Description
शुद्धतम रूप से गुरु बोध-मात्र है।

आत्मज्ञान, आत्मविचार ही आत्मबोध बन सकता है।

आत्मविचार में जब तुम अपनेआप को देखते हो, तभी संभव होता है गुरु का तुम्हारे लिए कुछ कर पाना।

जो स्वयं को देखने को राज़ी नहीं, गुरु उसके लिए कुछ नहीं कर पाएगा। गुरु ही प्रेरणा देता है आत्मविचार की, और आत्मविचार का आखिरी फल होता है आत्मबोध — यानि गुरु की प्राप्ति।

गुरु से ही आदि, गुरु पर ही अंत; गुरु ही है आत्मा अनंत।
Index
CH1
जीवित गुरु ख़तरनाक क्यों?
CH2
दुनिया में इतने कम कबीर क्यों?
CH3
गुरु की पहचान क्या?
CH4
गुरु वो जो तुम्हें घर भेज दे
CH5
गुरु तुम्हें वो याद दिलाता है जो तुम जानते ही हो
CH6
गुरु तुम्हारी बीमारी के कारणों का कारण जाने
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