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दशानन
दस चेहरे अहम् के
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Book Details
Language
hindi
Description
रावण कौन? रावण वो जिसका 'अह्म' अपनी वृत्तियों पर चले। दस सर प्रतीक हैं हमारे खण्डित मन और वृत्तियों के, जिनके हम गुलाम हैं।

रावण वो जो अपनी वृत्तियों और वासनाओ पर चले। राम वह जिसका 'अह्म' सत्य और शांति को समर्पित रहे।

हमारे अंदर ही राम होने की संभावना है और रावण होने की भी। रावण होना प्रकृति है हमारी, राम होने के लिए सत्य और शांति के प्रति अगाध प्रेम चाहिए।

कठिन है अपने भीतर के रावण को हराना क्योंकि हम जन्म से शारीरिक और मानसिक वृत्तियों पर चलते हैं, पर यह दशहरा मौका है अपने भीतर के छुपे रावण को समझने का और अपने भीतर के राम के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का।

अपने भीतर के 'अह्म' रूपी रावण को समझें आचार्य प्रशान्त की इस पुस्तक के माध्यम से।
Index
1. अहंकार क्या है, और उसका शरीर से क्या सम्बन्ध है? 2. अहंकार मिटाने के लिए क्या करना चाहिए? 3. अहंकार पर चोट लगने पर भी स्थिर कैसे रहें? 4. तुम्हारा अहंकार ही तुम्हारी समस्याओं का कारण 5. अपने अंदर के जानवर को जीतो 6. छल-कपट को कैसे पहचानें?
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