भागवत पुराण सभी १८ पुराणों में सर्वाधिक प्रचलित व सम्मानित पुराण है। इसके रचियता वेदव्यास माने जाते हैं, जिन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता की भी रचना की है। इस पुराण में वेदों और उपनिषदों के गूढ़ सिध्दांतों को - जिन्हें सूत्रों के द्वारा भी कहना मुश्किल होता है - सरल कहानियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। कथाओं में कृष्ण की बाल-लीलाएँ, गोपियों और माता यशोदा संग उनकी नटखट शरारतें व उनके बालपन के अनेक प्रसंग वर्णित हैं, जिनमें चमत्कारों का बाहुल्य है। सभी कहानियाँ मीठी व मनभावन हैं, पर इन कथाओं का मर्म मात्र उतना ही नहीं है जितना साधारण दृष्टि से दिखाई देता है। ये कथाएँ और प्रसंग सशक्त प्रतीक हैं, जो वेदान्त के गूढ़ रहस्यों और सिद्धांतों का प्रतिपादन करते हैं। परम्परागत रूप से बहुधा भागवत पुराण Bhagvat Puran) के मर्म को न समझकर, इन गूढ़ कथाओं का अधिकतर सतही अर्थ ही किया गया है। चमत्कारों आदि को तथ्यगत व भौतिक प्रामाणिकता दे दी गई है। पराप्राकृतिक घटनाओं का सांकेतिक व मार्मिक अर्थ खोजने का प्रयास कम ही किया गया है। इससे कर्मकांड और अंधविश्वास को बढ़ावा मिला है।
Index
1. स्वयं से छिटका हुआ मन है परमात्मा2. यशोदा का प्रेम3. असली धन कैसा?4. जहाँ गोवर्धन है, वहीं कृष्ण हैं5. कृष्ण को जीवन में उतरने दीजिए6. जो कृष्ण करें वो शुभ
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भागवत पुराण
पौराणिक कथाओं का वैदिक अर्थ
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Book Details
Language
hindi
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180
Description
भागवत पुराण सभी १८ पुराणों में सर्वाधिक प्रचलित व सम्मानित पुराण है। इसके रचियता वेदव्यास माने जाते हैं, जिन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता की भी रचना की है। इस पुराण में वेदों और उपनिषदों के गूढ़ सिध्दांतों को - जिन्हें सूत्रों के द्वारा भी कहना मुश्किल होता है - सरल कहानियों के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। कथाओं में कृष्ण की बाल-लीलाएँ, गोपियों और माता यशोदा संग उनकी नटखट शरारतें व उनके बालपन के अनेक प्रसंग वर्णित हैं, जिनमें चमत्कारों का बाहुल्य है। सभी कहानियाँ मीठी व मनभावन हैं, पर इन कथाओं का मर्म मात्र उतना ही नहीं है जितना साधारण दृष्टि से दिखाई देता है। ये कथाएँ और प्रसंग सशक्त प्रतीक हैं, जो वेदान्त के गूढ़ रहस्यों और सिद्धांतों का प्रतिपादन करते हैं। परम्परागत रूप से बहुधा भागवत पुराण Bhagvat Puran) के मर्म को न समझकर, इन गूढ़ कथाओं का अधिकतर सतही अर्थ ही किया गया है। चमत्कारों आदि को तथ्यगत व भौतिक प्रामाणिकता दे दी गई है। पराप्राकृतिक घटनाओं का सांकेतिक व मार्मिक अर्थ खोजने का प्रयास कम ही किया गया है। इससे कर्मकांड और अंधविश्वास को बढ़ावा मिला है।
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1. स्वयं से छिटका हुआ मन है परमात्मा2. यशोदा का प्रेम3. असली धन कैसा?4. जहाँ गोवर्धन है, वहीं कृष्ण हैं5. कृष्ण को जीवन में उतरने दीजिए6. जो कृष्ण करें वो शुभ