This book will be available soon. Please check again after a few days.
Book Details
Language
hindi
Print Length
224
Description
कबीर साहब जब ज्ञान बताते हैं तो अद्वैत के सबसे बड़े विद्वान हैं और जब वे राम गाते हैं तो सबसे बड़े भक्त हैं। उनकी बातों में बोध की गहराई भी है और साथ ही साथ एक मस्ती, एक दीवानगी भी है।
कबीर साहब को जटिलता ज़रा भी रास नहीं आती। जो बात जैसी देखते हैं वैसी ही कह देते हैं।
वेदांत के कठिनतम सूत्र, जिनके विषय में बड़े ज्ञानी भी अबूझ मालूम पड़ते हैं, उन्हें कबीर साहब ने सरल साखियों में गा दिया है।
उनकी साखियाँ हैं तो ज़मीन की भाषा में, पर एक एक साखी में आकाश समाया हुआ है। उनका मात्र शाब्दिक अर्थ नहीं किया जा सकता।
आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक में कबीर साहब के साखियों में छुपे आत्मिक अर्थों को उद्घाटित किया है।
Index
1. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर2. जो वचन आपसे न आए, वही मीठा है3. मनुष्य जन्म मुक्ति का अवसर है, या मौत की सज़ा?4. घर जलाना नहीं, घर को रौशन करना5. भक्ति माने क्या?6. क्षमा माने क्या?
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भागे भला न होएगा [New Release]
संत कबीर के दोहों पर
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hindi
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कबीर साहब जब ज्ञान बताते हैं तो अद्वैत के सबसे बड़े विद्वान हैं और जब वे राम गाते हैं तो सबसे बड़े भक्त हैं। उनकी बातों में बोध की गहराई भी है और साथ ही साथ एक मस्ती, एक दीवानगी भी है।
कबीर साहब को जटिलता ज़रा भी रास नहीं आती। जो बात जैसी देखते हैं वैसी ही कह देते हैं।
वेदांत के कठिनतम सूत्र, जिनके विषय में बड़े ज्ञानी भी अबूझ मालूम पड़ते हैं, उन्हें कबीर साहब ने सरल साखियों में गा दिया है।
उनकी साखियाँ हैं तो ज़मीन की भाषा में, पर एक एक साखी में आकाश समाया हुआ है। उनका मात्र शाब्दिक अर्थ नहीं किया जा सकता।
आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक में कबीर साहब के साखियों में छुपे आत्मिक अर्थों को उद्घाटित किया है।
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1. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर2. जो वचन आपसे न आए, वही मीठा है3. मनुष्य जन्म मुक्ति का अवसर है, या मौत की सज़ा?4. घर जलाना नहीं, घर को रौशन करना5. भक्ति माने क्या?6. क्षमा माने क्या?
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