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अर्जुन विषाद योग + सांख्य योग (श्रीमद्भगवद्गीता भाष्य)
दो पुस्तकों का कॉम्बो
Book Cover
Paperback
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₹199
₹600
Quantity:
1
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Book Details
Language
hindi
Print Length
568
Description
अर्जुन विषाद में हैं, अर्जुन किंकर्तव्यविमूढ़ हैं। नहीं जान पा रहे क्या करें, किधर को जाएँ। मोह है, भ्रम है, कदाचित भय भी है। श्रीकृष्ण मोह, भ्रम, भय, शोक, इन सबको अलग-अलग चुनौती नहीं देते। न अर्जुन का कुछ क्षणिक उत्साहवर्धन करके ऊर्जा का संचार करते। कितनी रोचक और उत्कृष्ट बात है कि अर्जुन की ग्लानिगत अवस्था को काटने के लिए अर्जुन को तत्त्वज्ञान देते हैं। अर्जुन आसानी से समझने वाले नहीं हैं। कई स्थानों पर तो लगता है कि जैसे सुनने का भी विरोध कर रहे हों। पर कृष्ण ने शुरुआत ही की है उच्चतम ज्ञान से, और विशेषता ये कि उन्होंने ज्ञान को कर्म के साथ जोड़ दिया है – भीतर आत्मज्ञान, तो बाहर निष्काम कर्म। कृष्ण की विशिष्टता है जो उन्होंने ज्ञान और कर्म को एक कर दिया है अर्जुन के सामने। अपने अँधेरे को जानना ही आलोक है, और स्वयं को जान लोगे यदि तो स्वयं के लिए जीना बंद कर दोगे – ये निष्काम कर्म है। पहले अध्याय में अर्जुन ने अपने सारे प्रश्न श्रीकृष्ण के सामने रखे हैं। प्रस्तुत कॉम्बो में श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम दो अध्यायों की पुस्तकें हैं।