Now you can read eBook on our mobile app for the best reading experience View App
Quantity:
1
In stock
Free Delivery
Added to cart
GO TO CART
Add Paperback to Cart
Get Paperback Now
Description
हम अभी उस स्थिति में नहीं हैं कि 'अहम् ब्रह्मास्मि' कह पाएँ। हमारी वास्तविकता अभी 'अहम्' ही है। जन्म से लेकर अभी तक जो भी चीज़ें हमारे जीवन में आयी हैं, हमने उन्हीं से नाता जोड़ लिया है, वही हमारी पहचान बन गई है। इन्हीं झूठे पहचानों को जानना, समझना और उनकी नेति-नेति करना ही ज्ञान का मुख्य उद्देश्य है। ज्ञान मात्र सूचनाओं का संग्रहण नहीं होता, बल्कि स्वयं को अर्थात अहम् को जानना ही वास्तविक ज्ञान होता है। यदि आपके 'ज्ञान' से आपके 'अहम्' का विगलन नहीं हो रहा, तो वह ज्ञान व्यर्थ है। आप वास्तविक ज्ञान और स्वयं के यथार्थ से परिचित हो सकें इस उद्देश्य से आपकी संस्था दो पुस्तकों का प्रकाशन एक साथ कर रही है। ये हैं — 'ज्ञान' और 'अहम्'। ये पुस्तकें आपको उस यात्रा पर ले जाएँगी जो 'अहम्' से आरम्भ हो 'अहम् ब्रह्मास्मि' तक जाती है।
हम अभी उस स्थिति में नहीं हैं कि 'अहम् ब्रह्मास्मि' कह पाएँ। हमारी वास्तविकता अभी 'अहम्' ही है। जन्म से लेकर अभी तक जो भी चीज़ें हमारे जीवन में आयी हैं, हमने उन्हीं से नाता जोड़ लिया है, वही हमारी पहचान बन गई है। इन्हीं झूठे पहचानों को जानना, समझना और उनकी नेति-नेति करना ही ज्ञान का मुख्य उद्देश्य है। ज्ञान मात्र सूचनाओं का संग्रहण नहीं होता, बल्कि स्वयं को अर्थात अहम् को जानना ही वास्तविक ज्ञान होता है। यदि आपके 'ज्ञान' से आपके 'अहम्' का विगलन नहीं हो रहा, तो वह ज्ञान व्यर्थ है। आप वास्तविक ज्ञान और स्वयं के यथार्थ से परिचित हो सकें इस उद्देश्य से आपकी संस्था दो पुस्तकों का प्रकाशन एक साथ कर रही है। ये हैं — 'ज्ञान' और 'अहम्'। ये पुस्तकें आपको उस यात्रा पर ले जाएँगी जो 'अहम्' से आरम्भ हो 'अहम् ब्रह्मास्मि' तक जाती है।