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वेदान्त और आत्मा [New Release]
भ्रम से ब्रह्म तक
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Paperback
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Book Details
Language
hindi
Print Length
221
Description
आत्मा हमें वेदों की देन है। यह शब्द इतना महत्वपूर्ण है कि संस्कृत के अलावा किसी भी अन्य भाषा में इसका समानार्थी शब्द नहीं है। क्योंकि आत्मा क्या है यह वेदान्त के अलावा किसी ने नहीं जाना है। न ही अंग्रेजी भाषा में प्रयोग की जाने वाली 'सोल' आत्मा है, न ही हमारे भीतर का अहम् आत्मा है। आत्मा परम आदरणीय शब्द है, इसे हल्के में प्रयोग नहीं किया जा सकता। सम्पूर्ण वेदों और उपनिषदों का सार इस एक शब्द में समाया हुआ है। यदि हम आत्मा के विषय में भ्रमित रह गए तो हम अपने पूरे जीवन के प्रति ही भ्रमित रह जाएंगे; क्योंकि मन की अंतिम इच्छा को ही आत्मा कहा गया है। तो वास्तव में आत्मा क्या है? आत्मा को समझना इतना महत्वपूर्ण क्यों है? पुनर्जन्म, भूत-प्रेत और अमरता का रहस्य क्या है ? यह पुस्तक आत्मा को समझाते हुए इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्रस्तुत कर रही है। आचार्य प्रशांत ने इस पुस्तक में आत्मा का सैद्धांतिक नहीं बल्कि जीवन उपयोगी अर्थ किया है।
Index
1. आत्मा माने क्या? शुद्ध धर्म कैसा? 2. मन की आवाज़, या आत्मा की? 3. मूल बातें: तन, मन, आत्मा 4. आत्मा को जानना है? 5. आत्मा का अनुभव कैसे करें? 6. आत्मा क्या है, और उसका अनुभव कैसे हो?
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