वारि जाऊँ मैं सतगुरु के [नवीन प्रकाशन]

वारि जाऊँ मैं सतगुरु के [नवीन प्रकाशन]

संपूर्ण भजन पर व्याख्या
5/5
11 Ratings & 4 Reviews
eBook Details
hindi Language
Description
क्या वास्तव में हम जानते हैं कि सतगुरु कौन होता है?

प्रस्तुत पुस्तक संत कबीर साहब के भजन ‘वारि जाऊँ मैं सतगुरु के’ पर आचार्य प्रशांत की सूक्ष्म, तर्कप्रवण और स्पष्ट व्याख्या का संकलन है। गुरु-शिष्य का संबंध सदा से विशेष रहा है, और यह भजन उस संबंध की अनूठी व्याख्या है।

यह भजन हमें उस गहराई तक ले जाता है जहाँ गुरु की सही परिभाषा सामने आती है—सही गुरु की पहचान न वेशभूषा से होती है, न परंपरा से, न जन्म न किसी सामाजिक मान्यता से; गुरु की पहचान उसके प्रभाव से होती है। आचार्य जी के शब्दों में - "जो भ्रम दूर कर दे, वही गुरु है।"

आचार्य जी हमें चेताते हैं कि यह भजन किसी भावावेग में गाया जाने वाला गीत नहीं बल्कि शिष्य के बोध से, उसकी समझ से उठना चाहिए। केवल तभी यह शिष्य के लिए सार्थक सिद्ध होगा।

यह पुस्तक एक सच्चे, बोधपूर्ण जीवन की ओर एक आमंत्रण तो है ही, साथ ही एक सही गुरु को तलाशने में मार्गदर्शक भी है। आशा है यह आप सबके लिए सहायक होगी!
Index
CH1
वारि जाऊँ मैं सतगुरु के
CH2
चंद चढ़ा कुल आलम देखे
CH3
हुआ प्रकाश आस गई दूजी
CH4
माया मोह तिमिर सब नाशा
CH5
विषय विकार लार है जेता
CH6
पिया पियाला सुधि–बुधि बिसरी
Choose Format
Share this book
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings? Only through your contribution will this mission move forward.
Reader Reviews
5/5
11 Ratings & 4 Reviews
5 stars 100%
4 stars 0%
3 stars 0%
2 stars 0%
1 stars 0%