उत्कृष्टता [Hardbound]

उत्कृष्टता [Hardbound]

ऊँचा उठने को तैयार हो?
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hindi Language
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Description
उपनिषद् कहते हैं — "यो वै भूमा तत् सुखं," जो बड़ा है उसी में सुख है। सीमाओं में, क्षुद्रताओं में सुख नहीं मिलना। पूर्णता हमारा स्वभाव है और इसीलिए जब तक हमारे जीवन में उत्कृष्ता का अभाव रहता है, तब तक भीतर एक खालीपन, एक बेचैनी बनी रहती है।

उत्कृष्टता की तलाश ही हमसे सारे उद्यम करवाती है। पर क्योंकि ज़्यादातर लोग अपनी आदतों के चलाए चलते हैं, इसलिए श्रम करने से बचते हैं और एक औसत स्तर के जीवन से समझौता कर लेते हैं। लेकिन वही निकृष्ट जिन्दगी अपने बन्धनों को तोड़ने की प्रेरणा भी बन सकती है।

आचार्य प्रशांत की यह पुस्तक आमंत्रण है उन सभी के लिए जो अपने साधारण ढर्रों से ऊब चुके हैं और ऊँचाई के अभिलाषी हैं। प्रस्तुत पुस्तक में आप सरल शब्दों में यह समझ पाएँगे कि उत्कृष्टता क्या है, वह क्यों ज़रूरी है और कृष्णत्व तक या श्रेष्ठता तक पहुँचने का मार्ग क्या है।
Index
CH1
ऐश्वर्य बिना जीना क्या!
CH2
एक अनूठी लड़की, एक गज़ब लड़का, और एक अजीब कहानी
CH3
क्या करें ऐसी जवानी का?
CH4
डिग्री से नहीं रोज़गार, युवा क्रोधित और लाचार
CH5
किन मुद्दों में उलझे हो?
CH6
‘पानी में मीन प्यासी’ का अर्थ?
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