तुम भेड़ नहीं, फिर भीड़ के पीछे क्यों?

तुम भेड़ नहीं, फिर भीड़ के पीछे क्यों?

नवीन श्रृंखला: लघु पुस्तक
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hindi Language
Description
भीड़ में कुछ नहीं है, ऐसे ही है उपद्रव। कोई समरसता नहीं, कोई लयबद्धता नहीं, कोई ईमानदारी नहीं, सब टुकड़े-टुकड़े, बिखरे-बिखरे, कोई गरिमा नहीं। अपने पाँव हैं, रास्ता अपने पाँव पर तय करना होगा। अपनी आँख है, अपनी चेतना है, अपनी बुद्धि है, साहस दिखाइए। साहस किसी विशेष मानसिक स्थिति का नाम नहीं होता। साहस किसी उत्तेजना का नाम नहीं होता। साहस भीड़ से नहीं मिलेगी, वो उत्तेजना है। अपने भीतर के साहस को लाइए।
Index
CH1
तुम भेड़ नहीं हो, फिर भीड़ के पीछे क्यों?
CH2
गहरी निराशा में भी एक ये बात याद रहे
CH3
उठा लेंगे ख़तरे, नहीं चाहिए सहारे
CH4
न छोटे हो, न कमज़ोर - अपनी ताक़त जगाओ तो सही
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