भीड़ में कुछ नहीं है, ऐसे ही है उपद्रव। कोई समरसता नहीं, कोई लयबद्धता नहीं, कोई ईमानदारी नहीं, सब टुकड़े-टुकड़े, बिखरे-बिखरे, कोई गरिमा नहीं। अपने पाँव हैं, रास्ता अपने पाँव पर तय करना होगा।
अपनी आँख है, अपनी चेतना है, अपनी बुद्धि है, साहस दिखाइए। साहस किसी विशेष मानसिक स्थिति का नाम नहीं होता। साहस किसी उत्तेजना का नाम नहीं होता। साहस भीड़ से नहीं मिलेगी, वो उत्तेजना है। अपने भीतर के साहस को लाइए।
Index
1. तुम भेड़ नहीं हो, फिर भीड़ के पीछे क्यों?2. गहरी निराशा में भी एक ये बात याद रहे3. उठा लेंगे ख़तरे, नहीं चाहिए सहारे4. न छोटे हो, न कमज़ोर - अपनी ताक़त जगाओ तो सही